Friday, December 31, 2010

TUMHARA ABHINANDAN HAI NAV VARSH

स्वागतम नव वर्ष
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                        दोस्तों , नमस्कार आओ जाते हुए इस महमान को हर्ष के साथ  विदा करें | जैसा भी था ये साल २०१० एक महमान ही तो था जो २००९ के बाद आया पूरे ३६५ दिन वो हमारे साथ रहा इस के साथ हमने अच्छा , बुरा  वक्त विताया , आज कुछ घंटो वाद ये विदा होजायेगा ,जैसा भी था इसे ख़ुशी-ख़ुशी विदा करते है और आने वाले महमान का स्वागत करते हैं |
           दोस्तों सन २०११ का अभिनन्दन एक वास्तविक मुस्कराहट के साथ करें ;एक एसी मुस्कुराहट जो भीतर से हो | हमारी डायरी स्म्रतियो से भरी हुई  है | बीते हुए समय से कुछ सीखें , कुछ भूलें और आगे की सुखदाई योजनाएं बनाये | पिछले साल जिनके साथ आपकी अनबन रही हो इस वर्ष  उनसे सुलहें करें , भूत को छोड़ कर नया जीवन शुरू करने का संकल्प करें |
           अपनी अलसाई आखों को खोल कर देखें कि इस धरा पर प्रकर्ति ने  हमें कितना कुछ दिया हैं |इस बात को भूलना होगा कि  हम  को बीते दिनों  क्या मिला ,क्या छूटा और आगे क्या मिलेगा ?
               आप जितने कृतज्ञ होंगें ; उतना ही अधिक आपको मिलेगा | इसके विपरीत  आप जितनी शिकायत करेंगें उतना ही आपसे वापस लेलिया जायेगा  हमारे देश कि संस्कर्ती कर्म-प्रधान है ,भगवान श्री कृष्ण ने भी गीता मेंकहा है 
कि "कर्म करो फल कि चिंता  मत करो ,जैसे  कर्म करोगे ......................................
  ,बस हमें कर्म करना है ,वो ऐसा जिससे किसी का अहित न हो ,बाकि प्रभु इच्छा
पर |
           अपने पंख खोलें और सुन्दर , स्वच्छ ,निर्मल ,खुले आकाश मै उड़ें ,अपने विचारो को एक उड़ान दें ,कुछ समय उस परमात्मा को धन्यवाद देने का जरुर  निकालें जिसने ये अमूल्य जीवन दिया |
                     आओ दोस्तों ,इस नव वर्ष का स्वागत दिल से करें , खुशियाँ बांटें , खुशियाँ मनाएं , और परमपितापरमेश्वर  कि वंदना करें |
                                            " || वन्दे-मातरम ||"

Tuesday, December 21, 2010

SAN 2012......

२०१२ क्या खत्म हो जाएगी दुनिया ?
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दोस्तों आप सोच रहे होगे की आज मै किस विषय मै लिख रहा हूँ |दोस्तों बापू के विचार तो मै लिखता  ही रहूँगा पर कुछ बातें एसी होती है जो अपनी ओर ध्यान खीच लेती है |आज सुबह जब मैं दूध लेने जा रहाथा तो गाँव की चोपाल पर अलाव सेकते हुए कुछ लोग इस विषयपर  बात कर रहेथे ,कि २०१२ मे ये दुनिया ख़त्म हो जाएगी |
            क्या सच-मुच २१ दिसम्बर २०१२ मे दुनिया ख़त्म हो जाएगी ?पिछले कई सालो से जब भी दिसम्बर आता है ,हर तरफ हल्ला उठने लगता है कि २०१२ मे सब ख़त्म होजायेगा | कोई माया सभ्यता का उल्लेख कर रहा है क्योकि इस सभ्यता का कलेंडर २१ दिसम्बर के बाद है ही नही ,मायासभ्यता 
मे इस दिन को आखिरी दिन बतलाया गयाहै |पर ये उल्लेख कही नही है कि ये दिन दुनिया का आखरी दिन होगा |कुछ लोग नास्त्रेदमस कि  उलझी 
भविष्यवाणी पर दावा ताल ठोककर करते है कि उसकी कोई भी भविष्य वाणी  गलत साबित नही हुई है |
                             एक ब्रिटिश सोफ्ट वेयर बनाने वाले वैज्ञानिको का आंकलन है की ये दिन दुनिया का अंतिम दिन होगा क्यू कि इस दिन तक प्रथ्वी का   चुम्बकीय छेत्र पूरी तरह से बदल जायेगा | कुछ वैज्ञानिको ने आइन्स्टीन की  पोलर शिफ्ट थियोरी को आधार बना कर दावा किया है , इन के  हिसाब से एसा हर साडेसात लाख  साल बाद होता है और वो समय २०१२ मै पूरा हो रहा है परन्तु प्रथ्वी की उम्र कितनी हो चुकी है किसी को कुछ पता नहीं |
                              कुछ भू गर्भ वैज्ञानिक २०१२ को अमरिका के विशाल  येलोस्टोन ज्वालामुखी के फटने की भविष्य वाणी कर रहे है जो हर साड़े छ्ह   लाख साल बाद फटता है , क्या ये साल २०१२ को ही पूरे हो रहे है इसकी गाड़ना किसने की ?जब की प्रथ्वी की उत्पत्ति का समय ही पता ना हो .  कुछ लोग महा मशीन के महा प्रयोग जो २०१२ में किया जायेगा  उसकी वजह से  प्रथ्वी का अंत मान रहे है| 
                             जबकि कुछ पर्यावरणविद कह रहे है की ग्लोबल वार्मिंग   भी  इसका कारण हो सकता है लेकिन क्या ये सब  २०१२ तक हो जायेगा  ? 
                              आशावान भारतवासी अपने अर्वाचीन भविष्य वाणियो को  खोलते है तो वहा वर्णन कुछ और ही मिलता है ,ब्रह्मवैवर्त पुराण में उल्लेख  मिलता है  की भगवान श्री कृष्ण ने देवी गंगा को बताया था की कलियुग में एक सुनहरा युग ५ हजार साल बाद आयेगा जो १० हजार साल तक चलेगा | हिदू सभ्यता के अनुसार कलियुग ३१०२ बी.सी . से सुरु हुआ है और इसका काल ४,३२००० साल है इस तरह अभी केवल ५ हजार साल हुए है जो २०१२ में पूरे होंगे , इस हिसाब से तो सुनहरा युग सुरु होगा और ये वैज्ञानिक युग खत्म हो जाने की बात करते है|
                            इस्लाम धर्म में भी मोहम्मद शाब ने कयामत की पहचान के कुछ लक्षण बताये थे उन में से तो कुछ का तो दूर दूर तक अंदेशा ही नहीं है ,जैसे की अरब में इस्लाम का खात्मा हो जायेगा ,रोम अस्सी झंडो के साथ  सेना लेकर विश्व युद्ध का एलान कर दे | बाइबलमके अंतिम युद्ध के बारे में अवश्य लिखा है पर उसका प्रारम्भ २०१२ में ही हो ऐसा उल्लेख कहीं नहीं मिलता|
                          इस तरह जब हर आंकलन पर एक भ्रम है ,संसय है तब आप कैसे कह सकते है की २०१२ को ही दुनिया खत्म हो जाएगी ?
                                                       
                                                " वन्दे मातरम "     
                                           
             

Sunday, December 19, 2010

SABRMATI KA SANT

गांधीवाद
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                      दोस्तों ये शब्द आप ने नजाने कितनीबार सुना होगा ,इस शब्द की दुहाई देते भी मिले होंगे.पर अधिकतर लोग इस शब्द का अर्थ ही नहीं समझते ,क्या है गांधीवाद ? ये कोई धर्म नही ,कोई सम्प्रदाय नही .ये बापू कि विचारधारा है ये बापू के वो विचार थे जिनके कारण टैगौर उनको "महात्मा" कहते थे |उनके साथ जो भी जुड़ा उसने आपने आपको गाँधीवादी कहना शुरू करदिया |कांग्रेसियों ने तो इसे आपना धर्म ही बना लिया आज भी इस पार्टी के लोग इस शब्द  का  भर-पूर प्रयोग करते है ,परन्तु इन लोगो से बापू के विषय मै अगर कुछ पूछ लिया जाये तो ये बापू के दो-चार विचार भी नही बतला सकते |जब बापू को इस दुष्प्रचार का पता लगा तो उन्होंने कई बार इस विषय मै लिखा भी .....
                 " ""गांधीवाद" नाम की कोई वास्तु है ही नही ;और न मैं अपने पीछे कोई सम्प्रदाय छोड़ जाना चाहयता हूँ |मेरा यह दावा नहीं है की मैंने किसी नए सिद्धांतका अविष्कार किया है  |मैंने तो  जो शाश्वत सत्य है उनको अपने नित्य के जीवन और प्रतिदिन के प्रश्नों पर अपने ढंग से सिर्फ घटाने का ही प्रयतनकिया है |
                  अत: मनुस्म्रती के जैसी कोई स्मरति  यानि संहिता मेरे छोड़ जाने का सवाल ही नही है | उन महान विधि  निर्माता -स्मर्तिकार के और मेरे बीच कोई तुलना  हो ही नही सकती | जो मत मैंने कायम किये है और जिन निर्णयों पर मै पहुचा हूँ ; वे भी अंतिम नही है | हो सकता है , मै कल ही उन्हे बदल दूँ |मुझे दुनिया को कोई नई चीज नही सिखानी है |  सत्य और अहिंसा अनादी काल से चले आए है | मैंने तो यथाशक्ति विशाल से विशाल पैमाने पर इन दोनों से अपने जीवन मै प्रयोग भर किए है |एसा करते हुए कभी-कभी मैंने गलतिया भी की है और अपनी उन गलतियों से मैंने सिखा भी है | इस प्रकार जीवन और उसकी समस्याओं ने मेरे लिए सत्य और अहिंसा के पालन मै प्रयोगों का रूप ले लिया है |"
                                            शायद  अब आप समझ गये होंगे की गाँधीवाद क्या है |इन्ही विचारो को आत्मसात  करने वाले एक और शक्श थे जो निरापद गाँधीवादी थे वो थे "सीमांत गाँधी "|
                                                             साभार संकलित :-हरिजन सेवक ,२८ मार्च १९३६ |
                                         ||    वन्दे -मातरम् | | 

Thursday, December 9, 2010

SABRMATI KA SANT

भारत, पाकिस्तान और कश्मीर :-३
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नमस्कार दोस्तों,
                          हर तरफ विस्फोट ही विस्फोट ,वाराणसी हो या पेशावर ,बरवादी ही वरबादी,
आतंकियो का हमला ,कट्टरपंथी आतंकियो का ऐलान इस्लामकि दुहाई ,इस्लाम खतरे मै है
किससे खतरा ----? कोन दे रहा है इनको सहः? जिनकी बहुत पुरानी दुश्मनी हैहिंदुस्तान से सारा
जहाँ जनता है |वो नही पसंद करते हिन्दुतान की तरक्की यहाँ का अमनोचैन , दिखावेको इन आतंकवदियो से युद्ध| हमेशा कश्मीर को हथियाने कि कुचेष्टा,कश्मीर का हर विश्विस्तरिय 
मंच पर राग अलापना ,अरे कश्मीर क्या ये तो सारा हिंदुस्तान हथियाना चाहयते है | पड़ो बापू ने क्या लिखा था "दिल्ली-डायरी"मै :-प्रस्ट सं :-४३-४४
                  "अगर (हिंदुस्तान-और पाकिस्तान )के बीच लड़ाई छिड़ जाए ,तो पाकिस्तान के हिन्दू वहाँ पांचवी कतार वाले नही बन सकते | कोई भी इसे बरदाश्त नही करेगा | अगर वे पाकिस्तान के प्रति वफादार नहीं है, उनको पाकिस्तान छोड़ देना चाहिए |इसी तरहा जो मुसलमान पाकिस्तान के प्रति वफादार है , उन्हे हिन्दुस्तानी संघ मै नही रहना चाहिए | 
सरकार का फर्ज है कि वह हिन्दुओ और सिखों के लिये इंसाफ हासिल करे | --------------------------------मुस्लमान लोग यह कहते सुने जाते है कि "हंसके लिया पाकिस्तान लड़के लेंगे हिंदुस्तान |" ........कुछ मुस्लमान सारे  हिंदुस्तान को मुसलमान बनाने कि बात सोच रहे है
|यह काम लड़ाई के ज़रिए से कभी नही हो सकेगा |पाकिस्तान हिन्दू धरम को कभी बरवाद नही कर सकेगा |सिर्फ हिन्दू ही अपने आपको और अपने धर्म को बरवाद कर सकते है |इसी तरहा 
अगर पाकिस्तान बरवाद हुआ ,तो वह पाकिस्तान के मुसलमानों द्वारा ही बरवाद होगा ,  हिंदुस्तान के हिन्दुओ द्वारा नही |"  
                   देखा आपने बापू ने चेतावनी दि थी और यही सब देखने को मिलभी रहा है |हम तो झेल ही रहे है भुगतना पाकिस्तान को भी पड रहा है |अंत मै :
                      " मेरे आशियाने मै आग लगाने वाले ,हाथ तेरे भी झुलसे होंगे "
                                                           "वन्दे मातरम "                                  

       

Sunday, December 5, 2010

Sabarmti Ka Sant

भारत पाकिस्तान और कश्मीर -२
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दोस्तों आप सोच रहे होगे कि मै यह सब किसी महान लेखक कि पत्रिका से या बापू कि आत्मकथा से संकलित कर लिख रहा हूँ ,नहीं एसा नही है ,ये संकलन मेरे स्वर्गीय  पूज्य दादा जी का है | जो खुद भी एक स्वतंत्रतासेनानी थे उन्होंने बापू कि लेखनी से निकले लेख जो अलग - अलग पत्रिकाओ मै झपे ,उनकी कटिंग अपनी एक सादा सी कापी मै चुपका  लिये थे जो मेरे पास आज भी सुरखछित है | यहाँ पर लिख ने के दो कारण है एक तो सब के साथ इनको साझा करना और एक समयतक इनको  सुरखछित रखना | 
आज कल विकिलीक्स ने काफी हंगामा फैला रखका है , इस के एक सन्देश  मै जिक्र था कि भारत और पकिस्तान मै जंग होसकती थी | ये बात  कोई नयी  बात नही थी पहले भी ऐसे हालात कई बार बनचुके है| पर सोचने कि बात ये है कि इससे हासिल क्या होगा ? सिर्फ बर्वादी ,जान कि माल कि अपनी -अपनी सभ्यताओ कि धर्मो कि और मिलेगा क्या ? जग हसाई,मेरे दोस्तों चेतो जागो समझो इन गोरो कि चालों को पहेले भी हमें ये वांट चुके है और अब बरवाद कर ना चाहयते है |इनकी अब एक चाल है कि हिन्दुओ से कहदो कि मुसलमान तुम्हे बरवाद करदेंगे और मुसलमानों से कि हिन्दू तुम्हे | ये चाल इन्हे सूझी कंहासे .....इस के जवाबदार भी हम ही है , सुना है कि पाक के कुछ मुसलमान और भारत के कुछ हिन्दुओ कि हटधर्मिता से, जो अनर्गल प्रलाप करते रहते है |बापू ने इस विषय मै भी कुछ लिखा था :-
"हिंदुस्तान से हरेक मुसलमान को भगाने और पाकिस्तान से हरेक हिन्दू और सिख को भगाने का नतीजा यह होगा कि दोनों उपनिवेशों मै लड़ाई होगी और देश हमेशा के लिए बरवाद हो जाएगा | अगर दोनों उपनिवेशों में यह आत्मघाती नीती बरती गई , तो उससे पाकिस्तान और हिंदुस्तान दोनों में इस्लाम और हिन्दू धर्म का नाश हो जायेगा | भलाई सिर्फ भलाई से ही पैदा होती है प्यार से प्यार पैदा  होता है | जहाँ तक बदला लेने कि बात है , इन्सान को यही शोभा देता है कि वह बुराई करनेवाले को भगवान  के हाथ में छोड़ दे |"
                                                     "दिल्ली - डायरी ,प्रष्ट :-सं:-२८ से संकलित "
                                                       .................................................................... वन्देमातरम |

Monday, November 29, 2010

sabarmati ka sant-3

भारत, पाकिस्तान और कश्मीर
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इस विषय पर आज भी बहूत से सबाल खड़े हुए है.आजादी के तुरंत बाद ही ये सबाल खड़े हो गए थे| बापू के सामने भी ये सबाल आये थे ,उन्हे भी ये सबाल विचलित करते थे |देखते है उन्होंने इस विषय पर अपने क्या विचार दिए :
           हमारे देश कि बद्किश्मती से हिदुंस्तान और पाकिस्तान नाम से जो दो टुकड़े हुए , उसमे धर्म को ही कारण बनाया गया है | उस के पीछे आर्थिक और दूसरे कारणभले रहे हो , मगर उनकी वजह से यह बटवारा नही हुआ होता| आज हवा मै जो जहर फैला हुआ है , वह भी उन्ही साम्प्रदायिक कारणों से पैदा हुआ है |धर्म के नाम पैर लूट मार होती है , अधर्म होता है |एसा न हुआ होता तो अच्झा होता , एसा कहना अच्छा तो लगता है मगर इससे हकीकत को बदला नही जा सकता |
यह सबाल कई बार पूछा गया है कि दोनों के बीचलड़ाई होने पर क्या पाकिस्तान के हिन्दू हिंदुस्तान के हिन्दुओ के साथ और पकिस्तान के मुस्लमान पाकिस्तान के मुसलमानों के साथ लड़ेंगे ? मै मानता हूँ कि ऊपर बतलाई  हुई हालत मै वे जरुर लड़ेंगे | मुसलमानों कि वफादारी के वचनों पर भरोसा न करने मै जितना  खतरा है, उस के बजाए भरोसा न करने मै ज्यादा खतरा है| भरोसा करने मै भूल हो और खतरे का सामना करना पड़े ,तो बहादुरों के लिये यह एक मामूली बात होगी |
मोंजू ढंग पर इस सवाल को दूसरी तरहा से यों रखा जा सकता है कि क्या सत्य और न्याय कि खातिर हिन्दू हिन्दू के खिलाफ और मुसलमान मुसलमान के खिलाफ लड़ेगा ? इसका जबाव एक उल्ट सवाल पूछकर दिया जा सकता है कि क्या इतिहास मैएसे उदाहरण नही मिलते ?
इस सवाल को हल करने मै सबसे बड़ी उलझन यह है कि सत्य कि दोनों ही देशो मै उपेक्छा कि गई है , मनो सत्य कि कीमत ही न हो | एसी विषम स्तिथि  मै भी हम उम्मीद करे कि सत्य पर अटल श्रद्धा रखने वाले कुछ लोग हमारे देश मै जरुर है |              
                                "हरिजनसेवक ,पत्रिका " २६-१०-१९४७ से साभार संकलित |
      दोस्तों इसी विषय मै कल और भी संकलन  आप के सामने रखूंगा , नमस्कार चलता हू.|

Sunday, November 21, 2010

sabarmati ka sant

दोस्तों नमस्कार .आज मै "साम्प्रदायिक एकता" के विषय मै जो बापू ने कहा था या लिखा था वो आप को बताता हूँ :_
"हिन्दू, मुसलमान ,सिख ,इसाई, पारसी, आदि को अपने मतभेद हिंसा का आश्रय लेकर और लड़ाई-झगडे करके नहीं निपटने चाहिए .
हिन्दू और मुस्लमान मुह से तो कहते है कि धर्म मै जबरजस्ती का कोई स्थान नही है | लेकिन यदि हिन्दू गाय को बचाने के लिये मुस्लमान कि करे , तो यह जबरजस्ती के सिवाय और क्या है?
यह तो मुस्लमान को बलात हिन्दू बनाने जैसी ही बात है | और इसी तरहा यदि मुसलमान जोर-जबरजस्ती से हिन्दुओ को मस्जिदों के सामने बाजा बजाने से रोकने कि कोशिश करते हैं , तो यह भी जबरदस्ती के सिवा और क्या? धर्म तो इस बात मै है कि आसपास चाहे जितना शोरगुल होता
रहे , फिर भी हम अपनी प्रार्थना मै तल्लीन रहै| यदि हम एक दुसरे को अपनी धार्मिक इछाओ का सम्मान करने के लिए बाध्य कि कोशिश करते रहे , तो भावी पीड़ियाँ हमे धर्म के तत्व से बेखबर जंगली ही समझेगी |
अब हिन्दू- मुसलमानों के झगड़ो के दो न्यायी कारणों का क्या इलाज हो सकता है, इसकी जाँच करें |
                                  पहले गोवध को लीजिये |गोरक्छा को मै हिन्दू धर्म का प्रधान अंग मानता हू| गोरक्छा का प्रारम्भ तो हमी को करना है | एसी हालत मै एकमात्र सच्चा और शोभास्पद उपाय यही है कि मुसलमानों के दिल हम जित ले और गाय का बचाव करना उनकी शराफत पर छोड़ दें |मुसलमानों के होने वाले गोवध को वे रोक न सके , तो इसमैं उनके मत्थे पाप नही चढ़ता |लेकिन जब वे गाय को बचाने के लिये मुसलमानों के साथ झगडा करने लगते है, तब वे जरुर भरी पाप करते है|
मसजिदों के सामने बाजे बजने के सबाल पर --अब तो मंदिरों के भीतर होनेवाली आरती का भी विरोध किया जाता है -- मैंने गम्भीरता पुरबक सोचा है| जिस तरहा हिन्दू गोबध से दुखी है उसी तरहा मुसलमानों को मसजिदों के सामने बाजा बजने पर बुरा लगता है |लेकिन जिस तरहा हिन्दू मुसलमानों को गोवध न करने के लिए बाध्य नही कर सकते , उसी तरहा मुसलमान भी हिन्दुओ को डरा-धमकाकर बाजा या आरती बंद करने के लिये बाध्य नही कर सकते | उन्हे हिन्दुओ कि सद-इक्झा का विशबास करना चाहिए | हिन्दू के नाते मैं हिन्दुओ को यह सलाह जरुर दूंगा कि वे सौदे बाज़ी कि भावना रखे बिना अपने मुसलमान पड़ोसियों के भावो को समझे और जहाँ सम्भव हो उनका ख्याल रखै|
       मुझे इस बात का पूरा निश्चय है कि यदि नेता न लड़ना चाहे तो जनता को लड़ना पसंद नहीं है| इसलिए यदि नेता लोग इस बात पर राजी हो जाये कि दूसरे सभ्य देशो कि तरहा हमारे देश मै भी आपसी लड़ाई-झगडे का सार्वजानिक  जीवन से पूरा उछेध कर दिया जाना चाहिए और वे जंगलीपन और अधार्मिकता के चिन्ह मानेजाने चाहिए , तो मुझे इसमे कोई संधेह नहीं कि आम जनता शीघ्र ही उनका अनुकरण करेगी |
         जब ब्रिटिश शासन नही था और अंग्रेज लोग  यहाँ दिखाई नही पड़ते थे ,तब क्या हिन्दू मुसलमान और सिख हमेशा लड़ते रहते थे? हिन्दू इतिहासकारों और मुसलमान इतिहासकारों ने उदाहरण देकर यह सिद्ध क्या है कि उस समय मै हम बहूत हद तक हिल-मिलकर और शांति पुर्वक ही रहै ते थे | और गाँव मै तो हिन्दू -मुसलमान आज भी नही लड़ते | उन दिनों वे बिलकुल ही नही लड़ते थे |
                                       सम्पादित संकलन साभार  "यंग-इंडिया,२४-१२-३१" से
                          नमस्कार , जय हिंद |    

Wednesday, November 17, 2010

sabar mati ka sant

दोस्तों नमस्कार, दो दिन से गायब था इस  लिए माफ़ी चाहता हूँ.आज सुबह समाचारपत्र  देखा तो सबसे पहले 'राजा के स्पेक्ट्रुम घोटाला' निग़ाह मै आया .महसूस हुआ  कि राजा अपनी गलती स्वीकार नहीं कर रहें हैं .बापू ने १९ फरबरी १९३३ मै 'हिंदी नवजीवन " मै लिखा था - "मै अगर किसी सदगुण का दाबा करता हूँ तो वह मेरी सत्यनिष्ठा और अहिन्साप्रयानता ही है.मै अपने मे किसी दैवीय शक्ति होने का दावा नहीं करता . और न मुझे वैसी शक्ति कि जरूरत ही है. मेरा शरीर वैसे ही नश्वर है जैसा कि किसी कमजोर से कमजोर मानव बन्धु का है और मेरे हाथ से भी वे सब गलतियाँ होने कि सम्भावना है जो कि उसके से हो सकती है . अपनी गलती को स्वीकार करना बड़ी अच्छी बात है . वह एक झाड़ू का कम करता है . जिस प्रकार झाड़ू गंदगी को हटा कर जमीन को पहले से भी अधिक साफ कर देती है ,उसी प्रकार अपनी गलती को स्वीकार करने से हृदय  हल्का और साफ जाता है.
अपनी गलती स्वीकार करके मै अपने को अधिक बलवान अनुभव करता हूँ . इस तरह पीछे लौटने से
हमारे कार्य कि उन्नति होगी . सीधी राह छोड़ने का आग्रह रखकर मनुष्य अपने उद्दिष्ट स्थान को कभी नही पहुच सकता " .
देखा आपने .....इस लिये ही तो उनको "बापू" कहते है.अच्छा शुभ-दिन चलते है फिर मिलेंगे .....

Saturday, November 13, 2010

sabrmati ka saint

प्रिय दोस्तों "मरे साथ चल" मै आप स्वागत है. आज सुबह घर से निकलते ही बच्चे ने "हैप्पी चिल्ड्रेन डे कहा",मै भी उसका अभिवादन किया और आगे चल दिया ,एकसाथ कई बिचार आये उन मै से एक सबसे प्रवल था साबरमती के सैंट का .
गाँधी जी भारत मै जन्मे थे ओर अफ्रीका मै बिताये प्रारंarभिक आट वर्षो को छोड़कर उनके  जीवन के शेष बर्ष इसी देश मै व्यतीत हुए .वह भारत के अतीत के गौरव,तियाग ओर बलिदान से भरे इतिहास,संस्किति,दर्शन आदि से बहुत प्रभावित थे
 उन्होंने अपने पत्र 'यंग इंडिया" मै लिखा था"मै भारत से उसी प्रकार बंधा हुआ हूँ जिस प्रकार कोई  बालक आपनी माँ की छाती से चिपटा रहता है; कियोकी मै अनुभव करता हूँ कि वह मुझे मेरा आवश्यक आधियातमिक पोषण देता है .
  उस के वातावरण से मुझे अपनी उच्चतम आकंझ्झाओ कि पुकार का उत्तर मिलता है .यदि किसी प्रकार मेरा यह विश्वाश हिल जाये तो मेरी दशा उस अनाथ बच्चे के जैसी होगी जिसे अपना पालक पाने कि आशा ही न रही हो" 
कैसे थे हमारे बापू .किया ऐसे विचार आज के नेताओ के मीलैगे ?दोस्तों यह पंक्तिया "यंग इंडिया " ६-४-१९२१ से
संकिलित की गयी है .अझ्झा चलता हूँ कल फिर मीलैगे इसी जगह "शुभ -दिवश ."