Sunday, February 27, 2011

कैंसर की पीड़ा :-
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कैंसर एक असाध्य रोग है यह बात हम सभी जानते है ,परन्तु इस रोग के साथ एक असहनीय दर्द भी साथ बना रहता है जिसका उपचार फोरी तोर पर ही उपलब्ध है जब तक दर्द निवारक दवाओं का असर रहता है ,दर्द से थोड़ी  राहत मिल जाती है , असर खत्म होते ही फिर वही पीड़ा ,परन्तु अब हमारे आयुर्वेदिक डाक्टरों ने एक आशा की  दिखाई है |
                 रोग में  होने वाली पीड़ा को खत्म करने की दवा  बी एच यू के तीन डाक्टरों की टीम ने सौ मरीजों पर परीक्षण कर खोज निकला |परीक्षण करने के बाद पाया किआयुर्वेदिक ओषधियाँ कैंसर पीड़ित मरीजों कि रोग - प्रतिरोधक क्षमता तो बढाती ही है ,साथ ही दर्द से भी छुटकारा दिलाती है |
             तीन साल पूर्व बी एच यू रेडियोथेरेपी विभाग के डाँ.यूपी शाही ,आयुर्वेद के संज्ञाहरण विभाग के प्रो .केके  पांडे तथा शोध छात्र सच्चिदानन्द ने कैंसर पीड़ित मरीजों पर शोध कार्य शुरू किया था | शोध कर्ताओं ने सात आयुर्वेदिक ओषधियों अश्वगंधा ,ब्राह्मी ,शंख पुष्पी,रासना ,अरंड ,निर्गुन्डी ,और भ्रंग राज  का परीक्षण १०० मरीजों पर किया |परीक्षण में मरीजों को दर्द से निजात मिली |
              आम तौर पर कैंसर के इलाज में सर्जरी ,कीमोथेरेपी और रेडियो थेरेपी विधी उपयोगी है |चिकित्सकों  के अनुसार इन विधियों से कोशिकाओं कि क्षति ज्यादा हो जाती है | जिसके चलते रोगीयों की प्रतिरोधक  क्षमता कम होने लगती है |प्रथम चरण में दर्द निवारण का समाधान ढूंढ़ लिया गया है|इन ओषधियों के मिश्रण  से दवा तैयार कर ली गयी है |दूसरे चरण के शोध में इस बात का पता लगाया जा रहा है कि कैंसर ग्रस्त कोशिकाओं को कैसे उर्जावान बनाया जाये |इसके लिए गिलौय ,अदरक ,सतावरी तथा अश्व गंध पर परीक्षण किया जारहा है|     
                                        ||      वन्दे - मातरम ||

Friday, February 25, 2011

भरतीय राजनीती में भ्रष्टाचार :-
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एस बैंड पर पी. एम.ने भजपा को लपेटा ,मौका मिलते ही उलझे माननीय ,कलमाड़ी ने दिखाई आँख ...., और भी एसे अन्य समाचारों को समाचार पत्र के मुख्य प्रष्ट पर देख कर एसा प्रतीत होता है कि राजनीति राजनीति न रहकर  भरष्टाचार निति होगयी है | आज राजनीति का ढर्रा इतना बिगड़  गया है कि राजनीति के विकृत रूप के कारण यह पता लगाना कठिन हो रहा है कि भारत का राजमार्ग ही भ्रष्ट है या भ्रष्टाचार ही राजमार्ग मे घुस गया है | राजनीति रिवाज ,मर्यादा और सिद्धांत नाम की कोई चीज भारत में कही दिखाई नही देती |तत्कालीन नेता त्याग ,बलिदान ,देश -प्रेम और देश भक्ति जैसे गुणों से ओत -प्रोत होते थे |इन्हीं गुणों  के कारण अंग्रेज सरकार को भारत छोड़ना पड़ा | उस समय नेता देश को समर्पित होते थे अब पेट के लिए समर्पित है | अब ऊँचे से ऊँचा  पदासीन व्यक्ति भी कई करोड़ की सम्पत्ति का भंडार संचित कर रहा है |घोटालोंमें लिप्त होकर अपनी स्वयं की, अपनी पार्टी की ,तथा देश की छवि धूमिल कर रहें हैं |देश की गरीब जनता के लिए सुख सुविधा के प्रवचन तो अब केवल स्टेज और अख़बारों को ही सुशोभित करते हैं |
       किसी दल या पार्टी का गठन मोटे तौर पर किसी सिद्धांत के आधार पर ही होता है |उस सिद्धांत में आस्था और निष्ठा रखनेवाले लोग ही उस दल में सम्मिलित होते हैं |प्रत्येक दल का लक्ष्य सत्ता की प्राप्ति होता है ,आज तक यही होता आया  है कि विपक्ष आपनी सारी शक्ति सत्ताधारी दल को गाली देने ,बदनाम करने और किसी न किसी तरह सत्ता हासि लकरने  में लगा रहता है|आज लक्ष्य है सत्ता में जाना और सत्ता सुख ,सुविधा प्राप्त कर अपने कुल तथा रिश्तेदारों को लाभ पहुचानाही है |
         आज राजनैतिक दलों के परस्पर सम्बन्ध इतने कटु हो गये हैकि देश कि बड़ी से बड़ी समस्या पर भी आपस में विचार विमर्श करने के बजाये मिडिया के माध्यम से आरोप -प्रत्यारोप लगाते रहते हैं |उनके मन में यही धारणा घर किये रहती है कि विपक्ष कभी अच्छा कर ही नही सकता | जब विभन्न देश परस्पर मिल कर हित की बात कर सकते हैं तो विभिन्न दल परस्पर मिल कर राष्ट्र हित की बात क्यूँ नही कर सकते ? इस का कारण स्पष्ट है कि उन दलों और राजनेताओं में देश -भक्ति की भावना का आभाव है |राजनेताओं के लिए कोई सर्वमान्य आचार सहिंता नही है |जिसके आभाव में ही आज के नेता मनस्विता के अनुरूप आचरण करते दिखाई नही देते |
            देश में भ्रष्टाचार अब इतना सर्वव्यापी हो गया है ,कि किसी एक व्यक्ति ,व्यवसाय तथा संस्था कि ओर ऊँगली उठाने कि आवश्यकता नहीं |अब कोई भी स्तर ऐसा नही बचा जहाँ भ्रष्टाचार न हो | पहले केवल व्यापारी  को चोर और भ्रष्ट माना जाता था ,बाद में सरकारी अधिकारी और कर्मचारी इस श्रेणी में गिने जाने लगे और अब तो आप देखते हैं कि इस व्यवसाय में प्रशासक और शासक भी शामिल हो गये है |अत: भ्रष्टाचार और अपराध अब अपराध नहीं रह गया है | हमारे जीवन का अंग बनगया है |अब आवश्यकता इस बात की है कि हम राजनैतिक संस्कार और आचार को बदलें |आपको अपनी सोच भी बदलनी हिगी |जैसे सेवा नि वृति का नियम होता है वही नियम राजनीति में भी लागू होना चाहिए | एक निश्चित आयु के बाद जैसे सभी सरकारी नौकर सेवा निवृत होतें हैं वैसे ही मंत्रियों और विधायको को भी सेवा निवृत किया जाये |
             यदि ऐसा नियम होता है तो बहुत कुछ भ्रष्टाचार राजनीति से कम होता नजर आएगा | भारत कि राजनीति में ऐसा नही होता |हर दल में एक विधायी पक्ष और दूसरा संगठन पक्ष होता है |जो नेता एक बार विधायी पक्ष मे चला जाता है वही सरकार कि कुर्सी से चिपका रहना चाहयता है ,फिर वह कुर्सी को नही छोड़ता| हमारी राजनैतिक व्यवस्था में एसे अनेक दोष है , जिनके कारण भ्रष्टाचार पनप रहा है |
              जब राजनीति में भ्रष्टाचार है तो जीवन के अन्य पक्ष भी अछूते नही रह सकते |भ्रष्टाचार महादैत्य होता है| हम नहीं कह सकते कि यह महादैत्य न जाने कब किस को निगल जाये |इसलिए सारे देश को उस संस्कार  और तंत्र के विरुद्ध खड़े हो जाना चाहिए ,जिस के कारण भ्रष्टाचार पैदा होता है बढ़ता है |
                                                  || वन्दे -मातरम् ||   
 

Tuesday, February 22, 2011

BHRSTACHAR OR BHARTVARSH

भ्रष्टाचार  एवं भारतवर्ष 
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            आज भारत वर्ष अपने आर्थिक विकास के लिए संघर्षरत है |देश अपने सभी प्राक्रतिक संसाधनो के पूर्ण  उपयोगो के लिए प्रयत्न शील है | परन्तु इसके लिए एक विपुल पूंजी की आवश्यकता है जो देश के पास नही है | यदि देश मैपूंजी निर्माण प्रयाप्त हो जाये तो देश अपने संसाधनो का विदोहन करने में सक्षम होगा और अपने उत्पादन और रोजगार दोनों में वृद्धी करसकेगा | 
        यूँ तो पूंजी के कमी के अनेक कारण है ,परन्तु आज देश में व्याप्त भ्रष्टाचार इस का एक प्रमुख कारण है |इस भ्रष्टाचार का आर्थिक प्रभाव स्पष्ट रूप से दिखाई देता है | आज हम देख रहे है कि ये चहुं ओर व्याप्त है | आज  लगभग प्रत्येक नागरिक ,हवाला घोटाला ,यूरिया ,प्रतिभूति ,चीनी , चारा , वफोर्स, कांमनवेल्थ ,स्पेक्ट्रम ,आदर्श घोटालों से परचित है |लाखों करोड़ों के घोटाले उजागर हो चुके है | औरइतने ही जाँच कि परधि में आ चुके है | घोटालों के स्वामी है देश के राजनेता एवं नौकरशाह | जनता ने जिन लोगों को देश की बागड़ोर सोंपी है वही लोग इन हरकतों मै लिप्त पाए जा रहे है | ऐसी अवस्था में जनता का सरकार पर से भरोसा उठ जाना स्वभाविक  है | 
भ्रष्टाचार के प्रभाव से देश में काले  धन की अतिशय वृद्धी होरही है |यदि किसी देश में काले धन की मात्रा बड़ेगी  तो देश में वस्तुओं एवं सेवाओं के मूल्य अवश्य बढ़ेंगे क्यूँ कि इस से चारो तरफ अनियमितता फलेगी |काले धन का एक पहलू और भी है कि इस धन को पकड़े जाने के भयसे भ्रष्ट लोग इसे देश के बाहर स्विस बैंक या अन्य  बैंको में रखते है ,जिस का लाभ उन्ही देशों को मिलता है | इस प्रकार हमारे देश को नुकसान होता है | आज देश में सी .बी .आई .द्वारा मारे जा रहे छापों से स्पष्ट है कि नौकरशाहो एवं राजनेताओं के आवासों मै अकूत धन सम्पत्ति भरी पड़ी है|एसा अनुमान है कि देश के सम्पूर्ण काले धन को बरामद कर लिया जाये तो देश का विदेशी  कर्ज उतारा जा सकता है और बचे धन को विनियोजित करके उत्पादन और रोजगार मै वृद्धी कर सकते है| 
     ऐसेवातावरण में लोगों को आधिक जानकारी प्राप्त करने कि भूख बढ़ रही है जो राष्ट्र के लिए एक शुभ संकेत  है | एसा लगने लगा है कि न्यायालय ,देश के प्रति आपनी निष्ठा के कारण ही ,आज एक अभियान छेड़े हुए है  ताकि इस भयानक रोग को समूल नष्ट किया जा सके |
        मै ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि देश के इन कर्ण धारों को वो सदवुद्धि प्रदान करे ताकि ये भ्रष्टाचार को समाप्त करने में न्यायपालिका का साथ दें , तब ही बापू के रामराज्य के सपने को मूर्त रूप दिया जा सकेगा |
                                            ||वन्दे -मातरम् ||   

Wednesday, February 16, 2011

......... PAR NETAON KI TO MOUJ !

आम बजट से पूर्ब एक बार फिर महगाई पर खूब माथा पच्ची हो रही है | एक तरफ जहाँ इस को लेकर सरकार की किरकिरी हो रही है वही भ्रस्टाचार के मसले पर भी जनमानस में विद्रोह होता जा रहा है | ये नेता लोग महगाई , भ्रस्टाचार , काले -धन जैसी  समस्याओं पर सदन मै हो -हल्ला तो बहुत करते है पर कभी अपने खुद के गिरेवां में भी झाक करदेखते है कि हम भी कितने दूध  के धुले है | सियासी नफा नुकसान तो देखते है पर क्या कभी गरीब कीरोजी -रोटी के नफा -नुकसान का अंदाजा लगाते है| अभी से  कुछ एसा सुनाई दे रहा है कि सब्सिडी पर कुछ ध्यान दिया जाये | हाँ ........ ठीक| कहाँ ध्यान दोगे पता है गरीब कि भोजन कि थाली पर से सब्सिडी हटाओगे  और कर क्या सकते हो ? मै पूझता हु क्या इन नेताओ कि थाली से सब्सिडी कोई सरकार हटा सकती है ?
   महगाई के इस ज़माने मै क्या आप १२.५० रु. मै शाकाहारी थाली ,१.५० रु.एक कटोरी दाल औरएक रु. में एक रोटी मिलने कि कल्पना कर सकते है | नही न ... ........ ....पर संसद भवन कि कैंटीन में यह संभव है | यहाँ दसको से कीमत ऐसी ही है |ये सब एक गरीबी की रेखा से नीचे रहने बाले गरीब को ,(जो इन का वोट बैंक है)पता चल जाये तो वो वेचारा सुनते ही इस लोक  को छोड़ देगा |  
     ये जो नेता लोग इन सब मुद्दों पर धरना -प्रदर्शन करते है ,जल्लुस,बंद का आवाहन करते है |बाजार ,याता -यात बंद करते है | अपनी -अपनी रोटियां सेकते है ,मारा जाता है तो बिचारा आम इन्सान ,भूखे सोते है एक गरीब के बच्चे  , न जाने कितने दिन  मरी जाती है एक गरीब मजदूर की मजदूरी ?  पर ये नेता लोग तो मौज की खाते है इनको किसीकी कोई परवाह नही | ये ही नही इनके चाटुकार पत्रकार मित्र (जो इनको मुख्य पेज पर , ब्रेकिंग खबर पर रखते है ) भी इस सुभिधा का जमकर लाभ उठाते है | याद रखिये इन सब सस्ती चीजो के पीछे भारी सब्सिडी है |
  इन की थाली का ब्यौरा :-  दही-चावल - ११रु. ,वेज पुलाव -८रु. ,चिकिन बिरयानी -३४रु. ,फिश  करी चावल -१३रु. ,राजमा चावल -७रु., चिकन करी -२०रु. ,चिकन मसाला -२४.५०रु. ,बटर चिकन - २७रु. ,खीर (एक कटोरी )-५.५०रु. ,छोटा फ्रूट केक -९.५०रु. ,फ्रूट सलाद -७रु. |शाकाहारी थाली -१२.५०रु. ,मांसाहारी थाली -२२रु. |इन कीमतों की समीक्षा  वर्ष २००५ मे तेलगू देशम पार्टी के सांसद के. येरन नायडू की अध्यक्षता मे की गई |
                                                 ||वन्दे -मातरम ||      

Wednesday, February 9, 2011

INSANO KE DAS ABUJH RAHASYA--- ------- ------- -------

दोस्तों इस दुनिया मे न जाने कितने ही रहस्य एसे है जिनको सुलझाना आज भी एक चुनौती हैं | एसे ही कुछ रहस्य इंसानों के भी है जो आज भी वैज्ञानिको को चुनौती दे रहे है | वैज्ञानिको ने परमाणुओं  को विभाजित कर लिया ,मानव को चन्द्रमा पर पहुंचा दिया ,डीएनए का रहस्य जान लिया ,लेकिन मनुष्य के व्यवहार की तमाम  अबूझ  पहेलियों को वो आजतक नही सुलझा पाए | शरमाना, हंसी, चुम्बन,स्वप्न,अन्धविश्वास, नाक   पकड़ना ,  किशोरावस्था  ,   परोपकारिता, कला , मनुष्य के बाल , ये दस है अबूझ रहस्य
 विकास वाद के जनक डार्विन पूरी उम्र इस गुत्थी को सुलझाने में जुटे रहे कि झूठ बोलने पर इन्सान का चहरा शर्म  से  लाल क्यूँ हो जाता है | शायद शरमाने से इन्सान अपनी कमजोरी ,या विवाद से बचने या नजदीकियां बड़ाने कि  कोशिश  करता है |
  जब हम खिलखिला कर हसते है तो मूड बढ़िया हो जाता है और दर्द छूमंतर हो जाता है | लेकिन अनगिनत अधधयनो के  बाद  भी वैज्ञानिक मुस्कराने या हसने के पीछे के  राज को खोल पाने मे नाकाम रहे | दस सालो के अधधयन से पता चला कि मजाक कि बजाय घिसे पिटे बयानों पर लोग ज्यादा हँसते है |
 वैज्ञानिक चुम्बन लेकर अभिवादन को अनुवांशिक मानते है क्योंकि सभी समाजों में ये प्रचलन में नही है |कई जगह कहा गया है कि आदिम मनुष्य अपने शिशुओं में स्तन पान कि आदत छुड़ाने के लिये उनका चुम्बन लेता था |  चुम्बन के आदान प्रदान से  ख़ुशी का इजहार भी किया जाता है , पर इस तर्क का जबाव आज तक नही मिला |
मशहूर मनोवैज्ञानिक सिगमंड फ्रायड ने कहाथा कि इन्सान अपनी अधूरी इच्छाओं को सपने के द्वारा व्यक्त करता  है  जिनेह दूसरे सामान्य तोंर पर मान्यता नही देते | लेकिन एसा क्यूँ होता है और भयावह सपनों कि वजह क्या होती है     किसी वैज्ञानिक को नही मालूम |
मनुष्य कि असमान्य लेकिन बारबार दोहराने वाली आदतों के बारे मै कोई वैज्ञानिक तथ्य नहीं है | प्रागैतिहासिक  मनुष्य तमाम दुर्घटनाओं से बचने के लिये अंधविश्वासों से युक्त टोटको को अजमाता आया है | धार्मिक  परम्पराओ ने इसे बल दिया लेकिन २१ वीं सदी मे भी ऐसे अंधविश्वास क्यों कायम है किसी को नहीं पता |
अक्सर  लोग बारबार अपनी नाक पकड़ते है ऐसी हरकत का शरीर  का कोई फायदा नहीं होता | मगर किशोरावस्था  मे १/४ व्यक्ति औसतन चार बार ऐसा करता है |कुछ का मानना है कि इससे प्रतिरोधक क्षमता बड़ती है |
 केवल मानव शरीर ही किशोरावस्था से गुजरता है |वैज्ञानिकों के अनुसार कोई अन्य जीव ऐसी अविश्वसनीय अवस्था  से नहीं गुजरता |कुछों का मानना है कि शरीर भवष्य कि जिम्मेदारियों के प्रति खुद को तैयार करता है |
परोपकारिता में कुछ ना मिलने के बाबजूद इन्सान दूसरों कि मदद  करता है| हम लोग समझते है कि इससे रिश्ते मजबूत होते है और खुशी मिलती है यह व्यवहार सब मनुष्यों मे क्यों नही दिखता यह गूड़ रहस्य है |
पेंटिंग ,न्रत्य ,शिल्पकला और संगीत सभी एक दूसरे को प्रभावित करने कि कलाएं है  | यह ज्ञान बड़ाने और अनुभव बाटने का साधन हैं |पर इसके अनुवांशिक या विकासवादी व्यवहार पर कुछ नही कहा गया |
शरीर पर हल्के रोंये  और  जननांगों  पर  घने बालों का लक्षण मनुष्य को अन्य जीवों से अलग करता है| ऐसा क्यूँ ?  इसके बारे में भी वैज्ञानिक कोई कारण नही बता पाए है | 
        इस तरह हमने देखा कि ये इंसानों के र्ह्श्य आज भी अनसुलझे ही है |जो वैज्ञानिकों के लिये चुनोती ही बने रहेंगे |
                                                    || "वन्दे  मातरम "||