tag:blogger.com,1999:blog-42133547632672435462024-03-13T03:17:17.853-07:00mere sath chaldr.adityahttp://www.blogger.com/profile/14637784104071990226noreply@blogger.comBlogger38125tag:blogger.com,1999:blog-4213354763267243546.post-54294193888162120962018-11-03T08:13:00.000-07:002018-11-03T08:19:09.885-07:00तन , मन, धन, ...सब कुछ है तेरा<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div style="text-align: left;">
<span style="font-weight: normal;">तन,मन,धन,....सब कुछ है तेरा</span></div>
<h2 style="text-align: left;">
<span style="font-weight: normal;">=================</span></h2>
<div>
ऋषि शास्त्र कारों और विचारको ने इस संसार को भवसागर कहां है । यहां बड़े बड़े आए और अपना वैभव दिखाते हुए न जाने कहां चले गए । गए तो ऐसे ही गए कि फिर लौट कर ना कभी आए और न कोई नामोनिशान रहा । रावण की तो सोने की लंका थी । उस के बल का क्या कहना ? कई देवता उसके द्वार पर पूजा कराने आते थे । यम उसकी खूंटी में बंधे थे ।इसी तरह कंस ने तो अपने बचाव के लिए बाल वध जैसा जघन्य अपराध किया । इन सब के नाम हमेशा के लिए कलंकित हो गए । उन्हें इतिहास हमेशा इसी नजरिए से देखता है और वे नकारात्मकता के प्रतीक के रूप में उसमें दर्द भी हुए ।</div>
<div>
सामान्यत है ईश्वर की कृपा से या प्रकृति के विधान से हमें तन मन और धन के रूप में कुछ उपलब्धियां हासिल होती हैं । इनमें से धन चल और अचल संपत्ति के रूप में होता है। धन के अतिरिक्त विद्या और शारीरिक बल को भी महत्व दिया जाता है। इन सभी की प्राप्ति होने पर हमारे भीतर पर्याय अहंकार का भाव घर कर जाता है । उदाहरण के लिए यदि हम हैं स्वस्थ और सुंदर शरीर प्राप्त हो जाता है तो यह ईश्वर की पूर्ण कृपा होती है। तो हम कुछ आत्मा मुग्ध हो अहंकार के शिकार हो जाते हैं ,और कम स्वस्थ और सुंदर व्यक्ति को हीन दृष्टि से देखते हैं ।अगर हमारे पास शारीरिक बल पद् बल और जन बल है तो कहना ही क्या ?तो इस स्थिति में हमारा अंहकार आसमान छूने लगता है और हम अपने आगे हर किसी को तुच्छ समझने लगते है ।</div>
<div>
बस यहीं से प्रभु सत्ता से हम दूर होते चले जाते है , हम भूल जाते है उसकी सत्ता को ,भूल जाते है कि सब कुछ उसकी मर्जी पर है।, एक नजर गर उसकी तिरछी हुई तो सब कुछ एक पल में खत्म .....। </div>
<div>
बस मित्रो हमें यही ध्यान रखना है कि हमारे पास कुछ भी नहीं है और हम उस दीनानाथ के आश्रित हैं जिनका आश्रय सारे जगत को प्राप्त है ।इसलिए जिस दिन हम अपने पास बहुत कुछ होने के भाव को त्याग देंगे, उसी दिन सब कुछ यानी ईश्वर आपका और आपके अंतर्मन में होगा । इस स्थिति में आप दुनिया के सभी संकटों से मुक्त हो जाते हैं। </div>
<div>
जब हमें ये ज्ञात हो गया है कि सब कुछ उसी के हाथ में है तो घमण्ड , अंहकार किस बात का । उसकी सत्ता उसी के हाथ सौप कर तो देखें , भगवान ने गीता में भी कहा है कि हमें तो बस कर्म करना है , फल तो उसे ही देना है । संसार में जो कुछ हमें प्राप्त है वो सब कुछ उन्ही का है ।</div>
<div style="text-align: left;">
<span style="font-weight: normal;"><br /></span></div>
<div style="text-align: left;">
<br /></div>
</div>
dr.adityahttp://www.blogger.com/profile/14637784104071990226noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4213354763267243546.post-16701106859436006722014-11-27T02:03:00.000-08:002014-11-27T02:03:25.446-08:00<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div style="text-align: left;">
<span style="font-size: x-large;">अजीब उलझन :-<span style="font-size: small;"> </span></span></div>
<div style="text-align: left;">
<span style="font-size: x-large;"><span style="font-size: small;">==================== </span></span></div>
<div style="text-align: left;">
<span style="font-size: x-large;"><span style="font-size: small;"> </span></span><span style="font-size: small;"> वाकयी ये एक अजीब उलझन हैं कि ,मन में आये हुए विचारों को कहाँ लिपि बद्ध किया जाये या सरल भाषा में कहूँ कि लिखा जाये । कागज पर लिंखूं तो लोग कहते हैं कि "यार किस दुनिया में रहते हो .... ब्लॉग लिखते हो तो उस पर लिखो न " । कहते तो वो लोग भी ठीक रहे हैं…पहले कागज पर लिखूं फिर ब्लॉग पर टाईप करूँ … ये भी दोहरा काम हैं … सिधे क्यों न लिखा जाये । </span></div>
<div style="text-align: left;">
<span style="font-size: small;"> लीजिये साहब हमने सोच लिया आज शहर जाकर …… (मतलब .... अरे भाई हम रहते तो अपने गॉव में हैं जँहा इंटर नेट की सुभिधा नहीं हैं , तो कैसे लिखेंगे … ) लिखेंगें । कंप्यूटर ऑन किया …… ब्लॉग बाली साईट खोली … और अपने ब्लॉग पर साइन इन किया … लिखने बाला पृष्ठ खोला .... कुर्सी पर सीधे बैठे …… सीधे का मतलब कमर को तक्क सीधा कर के वैठना। … अरे भैया हमने एक अख़बार में पड़ा था कि जो लोग कुर्सी पर कमर कमान बना कर आराम …… मतबल काम करते हैं ,वो बुढ़ापे में बहुत पछताते हैं। । कमर की हड्डी टेडी हो जाती है .| डाक्टर लोग बहुत पैसा एठते हैं .... दुनिया भर की लाल पिली दवाइयाँ खानी पड़ती हैं और एक दो साल बाद कहते हैं कि आप को तो" इस्पान्ड लाईटिस " हो गया हैं । फलां फलां …… , हड्डियों की कसरत कराने वाले डॉक्टर से मिलो ....... वो भी पैसे ऐठेगा …… फिर कोई बाबा रामदेव की शरण में जाने को कहेगा …… अरे इत्ता झेलने से पहले ही सुधर जाएँ तो का जाता है ,कमर तो अपनी हैं .......इस लिए भैया हम कमर तक्क कर के वैठ गए । </span></div>
<div style="text-align: left;">
<span style="font-size: small;"> का कह रहे हो , हमारी भाषा को क्या हुआ , अरे भाई हम कितने ही पढ़ लिख गए हो ,शहर में रहलिये हो पर मातृ भाषा का गवई अन्दाज थोड़े ही भूल जायेंगे । जाने अनजाने ये तो होगा ही …… अरे इसी भाषा से ही तो हम जिंदगी का क ,ख, ग , सीखे हैं । ये भाषा हमारे खून में हैं। …… ये हमको हमारे होने का एहसास कराती हैं । इसी से हमारे अपने ,अपने बने हुए हैं । जब हम अपने बड़ों से सुबह सुबह राम राम करते है तो उन का प्यार भरा स्नेहिल हाथ हमारे सर पर होता है , आह मत पूंछो कितने आनन्द और सुख की अनुभूति होती है … जब राम राम के बाद ताई कहती है …… अरे लल्ला कब आये , वैठो , चाह पीओ ,… कैसे हो ,बाल गोपाल कैसे हैं । बस जीवन जिवंत हो उठता हैं ……… इस स्नेह से इक नई ऊर्जा का संचरण हो जाता है इस देह में । क्या ये जादू नमस्ते , या गुड मॉर्निग में हैं । एक सीधी सी औपचारिकता ....... और सीधे रास्ते …… न अपनी ख़ुशी का कोई जिक्र और न दूसरे के गम से कोई वास्ता । वही भाग दौड़ से जगती सुबह और भागते भागते ढलती शाम । इस भाग दौड़ भरी जिन्दगी में अगर दो चार पल सकून के मिलते हैं तो इसी भाषा के अपने पन की वजह से,वरना किस को किस की पड़ी । मेरे मित्तरों भाषा से ही जज्वात बयां होते हैं। ……नहीं तो हम जानवरों के दुःख दर्द के भी साझेदार न होते ।</span></div>
<div style="text-align: left;">
<span style="font-size: small;"> अरे छोडो ……। कहाँ से कहाँ आ गए ....... बात कर रहे थे अपने लिखने की , सीधे तक्क वैठ गए , उंगलिुओं को दो चार बार चटकाया और अब तैयार लिखने को …… उंगलिया क़ी -बोर्ड पर रखी ………। ………………अरे धत्त्तेरेकी ....... का लिखने वैठे थे , का सोच के आये थे …… भूल गए ना । बहुत अच्छा सोचके आये थे , कभी कोई काम वाला ,किसी ने आवाज दे ली ,और तो और आप ने भाषा के चक्कर में हमको फसा दिया । लो करलो बात। .... सब भूल गए ,बहुत मन से सोच के आये थे आज तो यारों की बात मान ब्लॉक पर ही लिखेंगे .... लिख लिया । </span></div>
<div style="text-align: left;">
<span style="font-size: small;"> बहुत उलझन है भाई जभी तो हम कहते हैं कि अपनी तो कागज और कलम ही ठीक हैं जब मन में विचार आया झट लिख डाला …… अरे न जाने दूसरा विचार पहले को हटा खुद घुसड़ जाये ....... जैसे हमारे साथ अभी हुआ , लिखने कुछ आये थे और लिख क्या गए । हाँ बताये देते हैं ,अब हम से मत कहना कि सीधे ब्लॉक पर लिखो , उलझा दिये ना । जबहि हम कहते हैं …………।</span></div>
<div style="text-align: left;">
<span style="font-size: small;"> अजीब उलझन हैं ।</span></div>
<div style="text-align: left;">
<span style="font-size: small;"> </span></div>
<div style="text-align: left;">
<span style="font-size: small;"> राम -राम भाइयो कल फिर सोच के आयेँगे । </span></div>
<div style="text-align: left;">
<span style="font-size: small;"> </span></div>
<div style="text-align: left;">
</div>
<h2 style="text-align: left;">
<br /></h2>
</div>
dr.adityahttp://www.blogger.com/profile/14637784104071990226noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4213354763267243546.post-39924506318931806142014-09-12T02:45:00.000-07:002014-09-12T02:45:00.072-07:00कुछ दिलचस्प उत्पादों के नाम, जो छा गये बाजारों में...<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
व्यापार के मामले में कहा जाता है कि अपने अच्छे उत्पादों और वाजीब दाम में उत्कृष्ठ सेवाओं से ही कोई कंपनी शीर्ष पर पहुंच सकती हैं, परन्तु काम करने के दौरान हमें व्यावहारिक जीवन में कई छोटी बडी समस्याएं आती हैं, और उनको भी समान दृष्टि से देखते हुए निरंतर आगे बढ़ते रहना और अपने उत्पाद को और ज्यादा अच्छा व विशिष्ट बना डालना सचमुच बहुत बडी बात हैं |<br />
बडे महान थे वे लोग जिन्होनें अपने जीवन मे इतना श्रम किया, इतना श्रम किया कि उनके उत्पाद ही अपने आप में ब्रांड हो गये | इतने बिके, इतने बिके की जन जन की जुबान पर उन प्राडक्टस के नाम हैं | वेसे ये बडी ही छोटी लिस्ट हैं, बाकी यूं तो दुनिया में ए॓से उंचाईयों को छूने वाले उत्पाद और कंपनीयों के काफी सारे नाम हैं | तो यहां प्रस्तुत है कुछ ए॓से ही उत्पादों की एक सू्ची |<br />
कुछ दिलचस्प उत्पाद जो इतने चले कि अपने आप में ब्रांड हो गयेः<br />
डालडाः डालडा का वनस्पति घी किसे याद नहीं होगा, कंपनी के इस उत्पाद को लोगों नें सिर आंखों पर चढ़ाया, एक जमाने मे डालडा वनस्पति घी इतना बिका की सारे रिकार्ड टूट गये, आज भी कोई महिला वनस्पति घी लेने बाजार जा रही होती है …. चाहे वो कोई भी कंपनी का वनस्पति घी खरीदने जा रही हो पर<br />
<br />
surf<br />
पडोसन से यही कहेगी डालडा लेने जा रही हूं |<br />
<br />
सर्फः सर्फ कपडों की धुलाई का पाउडर हैं और इस उत्पाद की ए॓सी धूम है कि ये नाम से ही चलता हैं, आज भी कोई व्यक्ति वाशिंग पाउडर लेने बाजार जा रहा होता है …. चाहे वो कोई भी कंपनी का वाशिंग पाउडर खरीदने जा रहा हो पर कहेगा यही कि सर्फ लेने जा रहा हूं |<br />
मोबिल आयलः बोलचाल में मोबिल आयल जिसे कहा जाता हैं ये एक कंपनी का तेल होता था, पर अभी कोई भी कार सर्विस कराये तो मिस्त्री मोबिल आयल कौनसा डालने वाला है ये जरुर पूछता हैं |<br />
एस्पिरिनः एस्पिरिन तुरंत राहत देने वाली दर्दनिवारक गोली होती हैं, पर आजकल कोई भी सरदर्द बदनदर्द होने पर चाहे और किसी ब्रांड की गोली भी खा रहा हो, कहेगा यही कि एस्पिरिन ली है, अब ठीक हो जाउंगा | ए॓से और भी उदाहरण हैं, जैसे कोई व्यक्ति बहुत से सवाल करता हो, दिमाग खाता हो तो मित्र लोग उसे झंडु कहते है या फिर कहेंगे कि ये लो इस एनासिन की ही कमी थी, अब ये भी आ गया |<br />
बैंड एडः ये एक पट्टी होती हैं जो कि छोटी मोटी चोट लगने पर चिपका दी जाती हैं अब चाहे कोई भी ब्रांड की पट्टी बच्चों को लगाई जा रही हो पर लोग बोलचाल की भाषा में कहते यही हैं कि बच्चे को बैंड एड लगवा के आया हूं |<br />
जीपः जीप हकीकत में एक वाहन कंपनी हैं, पर चौपहिया आफ रोडर सवारी को बोलचाल की भाषा में जीप ही कहा जाता रहा है |<br />
निरमाः ए॓सा ही वाशिंग पाउडर निरमा के साथ भी हैं, निरमा का नाम आते ही कोई भी वाशिंग पाउडर निरमा ही याद करेगा, अब चाहे निरमा नाम से ही कोई बडे कालेज या कंपनीयां भी चल रही हो पर निरमा एक वाशिंग पाउडर का पर्याय बन चुका हैं |<br />
<br />
i-pod<br />
आई पोडः भारतीय बाजारों में आई पोड, यानी कोई भी एम पी थ्री प्लेयर जिस पर गाने सुने जा सकें | अक्सर एप्पल के प्राडक्ट कुछ महंगे होते है और ए॓से में चाईनीज एम पी थ्री प्लेयर भी बाजारों में बिकते हैं, पर बच्चे पूछते यही हैं कि भैया आई पोड है क्या ? ए॓सा ही कुछ सोनी कंपनी के वाकमेन के साथ भी है, सोनी ने अपने कैसेट प्लेयर का नाम वाकमेन रक्खा था पर अब कोई व्यक्ति चलते फिरते हुए संगीत सुनने वाला कोई भी यन्त्र खरीदे, कहेगा यही कि वाकमेन लाया हूं |<br />
<br />
जिलेट रेजरः जिलेट एक बहुत बडी कंपनी है जो शेवर रेजर आदि बनाती हैं और रेजर करके एक रेडी शेवर उन्होने निकाला था, अब कोई भी डाढ़ी बनवाने का उस्तरा खरीदे बोलेगा यही कि रेजर लाया हूं |<br />
बिस्लरीः बिस्लरी का मिनरल वाटर नाम से शुद्ध पानी आता हैं और ये हर छोटी मोटी दुकान पर सुलभ उपलब्ध हैं , अब ये मिनरल वाटर का पर्याय बन चुका हैं, कवि लोग कहते हैं ना कि नेता पीये बिस्लरी, और हम पीये नलके का गंदा पानी |<br />
कोलगेटः कोलगेट एक प्रसिद् टूथपेस्ट हैं, जो किसी भी टूथपेस्ट कंपनी से पीछे नहीं हें, कोई किसी भी कंपनी का टूथपेस्ट लेने जा रहा हो वह कहेगा यही कि भई कोलगेट लेने जा रहा हूं |<br />
जिरोक्स: जिरोक्स एक कंपनी है जो कि प्रिन्टर, फोटोकोपी मशीन आदि बनाती है, फोटोकोपी मशीनें जिरोक्स की इतने प्रचलन में आयी कि कोई भी फोटोकोपी कराने जाता हो कहता है कि जिरोक्स कराने जा रहा हूं |<br />
वेसलीनः वेसलीन का नाम आते हैं हमें पेट्रोलियम जैली याद आती हे,अब बाजारों में चाहे कितने ही अलग अलग ब्रांड के वेसलीन पेट्रोलियम जैली मिलते हों पर हमें तो बस वेसलीन ही चाहिये होता हैं|<br />
डनलपः आज भी कई लोग गद्दीदार सोफे पर बैठते ही कहते है क्या बात है, ए॓सा नरम सोफा है जेसे डनलप का गद्दा हों | डनलप आराम व लग्जरी का प्रतीक बन चुका हैं | डनलप नाम से पहले टायर आते थे |</div>
dr.adityahttp://www.blogger.com/profile/14637784104071990226noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4213354763267243546.post-91643049131783195902014-09-05T04:38:00.000-07:002014-09-05T04:42:35.660-07:00दिल की किताब :-<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div style="text-align: left;">
<span style="font-size: x-large;">दिल की किताब :-</span></div>
<div style="text-align: left;">
<span style="font-size: x-large;">=========== </span></div>
<div style="text-align: left;">
</div>
<div style="text-align: left;">
" आप भी क्या सोच रहे होंगे कि मैंने कैसा शीर्षक लिया हैं ।जी हाँ एक ही शब्द के कई अर्थ हो सकते हैं, और समझ ने वाले अपने हिसाब से समझते है । यहाँ मैं एक ऐसी किताब के बारे में बता रहा हूँ , जिसको इस भूलोक के किसी लेखक ने नहीं लिखा है । इसे पड़ने के लिए किसी भाषा ज्ञान की जरूरत नहीं । एक अनपढ़ भी इसे पड़ सकता है । बिना आखों बाला भी पढ़ सकता है । इसका लेखक संसार का पालन हार , सृष्टि का रचियता है । </div>
<div style="text-align: left;">
इसे अगर युवा पढ़ेगा तो उसे भी आनंद की अनुभूति होगी , अगर मध्य वय पढ़ेंगे तो असीम संतोष की प्राप्ति होगी , और वृद्ध पढ़ेंगे तो असीम आनंद, संतोष ,और सुख की प्राप्ति होगी । हरेक के अपने- अपने अर्थ होंगे , अलग -अलग अनु -भूतियां होंगी । इसे "हृदय की किताब " भी कह सकते हैं । </div>
<div style="text-align: left;">
</div>
<div style="text-align: left;">
इसमें लिखा है - सबसे पहले अपनी आँखे बंद कर पहचानो तुम कौन हो ।</div>
<div style="text-align: left;">
- अपने अंदर के जीवन को महसूस करो । </div>
<div style="text-align: left;">
- अपने अंदर के आनन्द को खोजो , सच्चा आनन्द , शारीरिक आनन्द से इतर । </div>
<div style="text-align: left;">
- अपने अंन्दर के करिश्माई शक्तियो को खोज निकालने का मार्ग । </div>
<div style="text-align: left;">
- एक शब्द "प्रेम " कितने अर्थ है इसके ,समझो ,पहचानो , करो ,बांटो ।</div>
<div style="text-align: left;">
- तुम्हरे अंदर ही तुम्हरी दिव्यता है। </div>
<div style="text-align: left;">
- तुम्हारा गुरु तुम्हारा हृदय ही है इसकी आवाज को कभी अनसुना न करो , फिर</div>
<div style="text-align: left;">
देखो जीवन के हर क्षेत्र में सफलता तुम्हरे साथ होगी । </div>
<div style="text-align: left;">
</div>
<div style="text-align: left;">
किसी पुस्तक के पन्ने पलटते रहो तो एक -एक करके सारे पन्ने पलट जायेंगे , इन्हें फिर बापस पलट सकते है । परन्तु हृदय की किताब के पन्ने बापस नहीं पलटे जासकते । इसे पढ़ना है तो दिल की भाषा सीखो । जिस दिन हृदय की भाषा समझ आने लगेगी , उस दिन ये भी समझ में आने लगेगा कि जीवन कितना अनमोल है । सौभाग्य है कि हमें ये जीवन मिला । इस दिल ,हृदय की किताब को अपना गुरु बनाओ ,मार्गदर्शक बनाओ । हृदय से निकला हर भाव सत्य है , परमात्मा के प्रेम की भाषा है , उसका आदेश है , उसे बस समझना है । ये तभी संभव होगा जब हम इस किताब को पढ़ना सीख जाएगें । </div>
<div style="text-align: left;">
</div>
</div>
dr.adityahttp://www.blogger.com/profile/14637784104071990226noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-4213354763267243546.post-42175852165030408512014-09-04T02:03:00.003-07:002014-09-04T02:03:53.836-07:00कर्म करो..… पर विचार कर :-<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<h2>
<span style="font-size: x-large;">कर्म करो..… पर विचार कर :-</span></h2>
<div>
<span style="font-size: large;">=========================</span></div>
<div>
<b>मनुष्य कर्मशील प्राणी है । वह जैसा कर्म करता है , उसे वैसा ही फल मिलता है । जब हम गलत काम करते है तो उसका गलत नतीजा भी हमें अवश्य भुगतना पड़ता है । इस लिए कहा गया है कि अच्छे काम करो । उनका परिणाम भी सुखद होता है । </b></div>
<div>
<b>भगवान बुद्ध ने कर्म के आधार पर मनुष्य के चार प्रकार बताये है । कथा आपके सामने प्रस्तुत करता हूँ , </b></div>
<div>
<b>एक वार प्रवचन के उपरांत एक जिज्ञासु ने भगवान बुद्ध से पूंछा " आप ने कहा कि मनुष्य चार प्रकार के होते है , कृपा समझाएं ?"</b></div>
<div>
<b> बुद्ध ने उत्तर दिया , " मनुष्य कर्म से चार प्रकार के होते है - एक , तिमिर से तिमिर में जानेवाला ;दूसरा , तिमिर से ज्योति की ओर जाने वाला ; तीसरा , ज्योति से तिमिर की ओर वाला ; और चौथा , ज्योति से ज्योति में जाने वाला । </b></div>
<div>
<b> यदि कोई मनुष्य चाण्डाल , निषाद आदि हीन कुल में जन्म ले और जन्म भर दुष्कर्म करने में बिताये , तो उसे मैं "तिमिर से तिमिर में जाने वाला "कहता हूँ । </b></div>
<div>
<b> </b></div>
<div>
<b> यदि कोई मनुष्य हीन कुल में जन्म ले तथा खाने - पीने की तकलीफ होने पर भी मन - वचन - कर्म से सत्कर्म का आचरण करे , तो मैं ऐसे मनुष्य को "तिमिर से ज्योति में जाने वाला " कहता हूँ । </b></div>
<div>
<b> </b></div>
<div>
<b> यदि कोई मनुष्य महा कुल में जन्म ले , खाने -पीने की कमी न हो , शरीर भी सुन्दर ,रूपवान ,बलवान हो , किन्तु मन , वचन , कर्म से दुष कर्मी हो ,दुराचारी हो , तो मैं उसे "ज्योति से तिमिर में जाने वाला " कहता हूँ । </b></div>
<div>
<b> किन्तु जो मनुष्य अच्छे कुल में जन्म लेकर सदैव सदाचरण ,सत कर्म की साधना करता हो , तो मैं उसे "ज्योति से ज्योति में जाने वाला " मनुष्य मानता हूँ । </b></div>
<div>
<b><br /></b></div>
<div>
<b>इस लिए मित्तरों मेरा तो यही निवेदन है कि कर्म तो हमें करना है पर करते समय सोचना भी है , विशेष ध्यान भी रखना हो किस कर्म से हम किस श्रेणी के मनुष्य बन जायेंगे । इस भू लोक पर ,हमारे जाने के बाद , क्या रह जायेगा ? रह जायेगा तो हमारी मनुष्यता की श्रेणी , हमारे दुवारा किये कर्मो की विवेचना । </b></div>
<div>
<b> एक बात और जब हम एक सामाज का हिस्सा हैं तो इसको भी हमें अपने कर्मो से साधना होगा , न तो गलत करेंगे और न ही होने देंगें । हम गलत कर्म नहीं करते ,लेकिन गलत लोगों का विरोध नहीं करते तो ये भी गलत होगा । इसका फल कईबार बहुत घातक होता है । समाज को बुरे लोग इतना नुकसान नहीं पहुचाते जितना तटस्थ या निष्क्रिय लोग पहुंचाते है । </b></div>
<div>
<b> इस लिए उट्ठो जागो सोचो समझो और कर्म किये जाओ। … </b></div>
<div>
<b> अपनी मनुष्यता की श्रेणी का हमेशा ध्यान रहे । </b></div>
<div>
<b> जड़ता को छोडो। … विनाशी नहीं रचनाकार बनो। … </b></div>
<div>
<b> हमें आज सवार कर आने वाली संतति को नया कल देना है । </b></div>
<div>
<b> । । इति । । </b></div>
</div>
dr.adityahttp://www.blogger.com/profile/14637784104071990226noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4213354763267243546.post-19883746160522032352012-03-03T01:21:00.000-08:002012-03-03T01:21:58.912-08:00<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><div style="text-align: justify;"><span style="font-size: x-large;"><b>अण्डों की मार</b></span><br />
<b><span style="font-size: large;">==============</span></b><b style="font-family: arial; font-size: large; line-height: 32px; text-align: -webkit-auto;">एक खबर :- "अंडों की मार से बचने के लिए छिपे सरकोजी " अरे ये क्या महामहिम आप अंडों से ही डर गये , ये आपने क्या किया ? अपने दुर्भाग्य को आपने गले लगालिया| अरे भारत आकर देखिये ,यहां के नेता किसी मार से नही डरते ,चाहे वो सदन की कुर्सी ,पंखा या माइक या पुलिसिया डंडे की मार हो ,सब कुछ झेलने में माहिर है और इसे अपनी वीरता समझते हैं | और अगर पब्लिक से इनको जूता ,चप्पल , थप्पड़ खाने को मिलजाए तो उसे ये अपना सौभाग्य समझते हैं | भगवान के परसाद से इनको इतनी आनन्द की अनुभूति नहीं होती जितनी जूता ,चप्पल , थप्पड़ खाने में होती हैं | मैं तो यही कहूँगा कि आपने अपना भविष्य ख़राब करलिया ,राजनीति छोड़ दीजिये , इस क्षेत्र में जो डर गया समझो मर गया ,जो झेल गया समझो सात पीड़ियाँ तार लेगया| अगर मेरी बात पर विश्वास ना हो तो भारत आकर लोगों से पूछ लो , बच्चा -बच्चा सारा इतिहास बता देगा | जब ही तो हम कहते हैं "मेरा देश महान " | जये हिंद || </b><br />
</div></div>dr.adityahttp://www.blogger.com/profile/14637784104071990226noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4213354763267243546.post-56803358651491602472012-03-02T04:02:00.000-08:002012-03-02T04:02:02.517-08:00mere sath chal: आओ ! कचरा करें :-<a href="http://meresathchal.blogspot.com/2012/03/blog-post.html?spref=bl">mere sath chal: आओ ! कचरा करें :-</a>: आओ ! कचरा करें :- ============================ दोस्तों आदमी और कचरे का संबंध काफी अटूट है ।आदमी है तो कचरा होना लाजमी है । मच्छर मलेरिया फ...dr.adityahttp://www.blogger.com/profile/14637784104071990226noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4213354763267243546.post-74842746943740546222012-03-02T03:59:00.000-08:002012-03-02T03:59:53.595-08:00आओ ! कचरा करें :-<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><span style="font-size: x-large;"><b style="background-color: white;">आओ ! कचरा करें :-</b></span><br />
============================<br />
दोस्तों आदमी और कचरे का संबंध काफी अटूट है ।आदमी है तो कचरा होना लाजमी है । मच्छर मलेरिया फैलाता है ,मक्खी हैजा ,चूहा प्लेग फैलाता है ,तो आदमी कचरा ।बल्कि कहना चाहिए कि मनुष्य तो इन से भी दो कदम आगे है ।कचरा करना तो आदमी कि जन्म जात प्रवर्ति है ।हिमालय कि चोटियाँ इस बात कि साक्षी है ।जब तक वे आदमी की पहुच से दूर रहीं ,स्वच्छ बनी रहीं ।परन्तु जब से आदमी को पर्वतारोहण का शौक चर्राया तब से इन को भी नहीं छोड़ा ।फिर कचरा भी कैसा -कैसा ? प्लास्टिक के डिब्बे ,पालीथीन की थैलियाँ , इत्यादि जिनको प्रकर्ति भी ठिकाने नहीं लगा सकती ।<br />
<div style="text-align: justify;"><span><span><span><span><span><span><span><span><span><span> यह कितनी अजीब बात है कि जो व्यक्ति जितना अधिक साफ -सफाई पसंद है वह उतना ही अधिक गंदगी फैलाता है ।रोज -रोज नहाने वाला ,कभी कभार नहाने वाले कि अपेक्षा ज्यादा पानी गन्दा करता है ।नहाने -धोने के लिए साबुन ,शैम्पू और डिटरजेंट का उपयोग करने वाला सादा पानी से नहाने -धोने वाले के मुकाबले पानी को ज्यादा ख़राब तरीके से गन्दा करता है । प्रसाधन सामग्री का प्रचुर प्रयोग पर्याप्त प्रदुषण पैदा करता है । इन वस्तुओं के निर्माण के समय फैक्ट्रियां भी गंदे अवशिष्ट फैंकती है । फिर इन की पैकिंग में लगने वाला कागज ,गत्ता ,पन्नी आदि भी तो अंतत: कचरा बनता है ।</span></span></span></span></span></span></span></span></span></span></div><div style="text-align: justify;"><span><span><span><span><span><span><span><span><span><span><span><span><span><span><span><span><span><span><span><span><span><span><span><span> आज का युग ओध्योगीकरण का है ,जिसका मूर्त रूप है निरंतर धुंआ उगलती मिलें, कारखाने ।जहां जितने अधिक कारखाने ,वह देश उतना ही उन्नत ।इसका परिणाम तो आप जानते ही है - अधिक कचरा और अधिक प्रदूषण ।इसका अर्थ यह हुआ कि कचरा प्रगति का प्रतीक और समुन्नत होने का लक्षण है ।मेरे विचार से किसी देश कि उन्नति का स्तर इस बात से आंका जाना चाहिए कि वहां प्रति व्यक्ति प्रतिदिन / प्रतिवर्ष कितना कचरा उत्पन्न करता है ।</span></span></span></span></span></span></span></span></span></span></span></span></span></span></span></span></span></span></span></span></span></span></span></span></div><div style="text-align: justify;"><span><span><span><span><span><span><span><span><span><span><span><span><span><span><span><span><span><span><span><span><span><span><span> एक बात और ।सभ्य आदमी अपने कचरे को अपने से दूर दूसरों के इलाके में फैकता है ।जो जटिल गंवार है , वे गंदगी के बीच रहते है ,घर का कचरा घर के सामने ही डाल देते है ।परन्तु जो अपेक्षाकृत सभ्य हैं , वे अपना कचरा पड़ोसी के दरवाजे या दो -चार मकान आगे या सार्वजनिक स्थान पर डाल देते हैं ।आबादी बढने से हालात यह है कि आप कचरा कहीं भी फैकें ,वहां किसी न किसी का दरवाजा तो होगा ही ।और फिर शहर भी इतने बड़े होगये हैं कि म्युनिसिपल्टी वालों तक को उससे बाहर जा कर कचरा फैकना एक समस्या हैं ।फिर अबतो शहर के बाहर भी निर्जन स्थान कहाँ ?</span></span></span></span></span></span></span></span></span></span></span></span></span></span></span></span></span></span></span></span></span></span></span></div><div style="text-align: justify;"><span><span><span><span><span><span><span><span><span><span><span><span> वास्तव में जो जितना सभ्य है ,वो उतना ही खतरनाक कचरा करता है ।विकसित देश अपने परमाणु परीक्षण महासागर में करते हैं ,इससे वे खुद तो रेडियो धर्मी कचरे से बचे रहते हैं ,महासागर वाले द्वीप ,और जीव -जंतु प्रभावित होते हैं ,तो हों ।उन्होंने अंतरिक्ष को भी नहीं छोड़ा ,चन्द्रमा को भी नहीं और तो और अब मंगल के बारे में प्रयास कर रहे हैं ।सोचने वाली बात ये है कि जो रसायन ,मशीनरी ,दवाइयां और हथियार उनके यहाँ प्रतिबंधित हैं कचरा हैं उनको वे हमारे जैसे देशों को बड़े एहसान से निर्यात कर रहे हैं और हम उनके इस कचरे के लिए लार टपका रहे हैं ।</span></span></span></span></span></span></span></span></span></span></span></span></div><div style="text-align: justify;"><span><span><span><span><span><span><span><span><span><span><span><span><span><span><span> इस भौतिक कचरे के अलावा एक अन्य प्रकार का अमूर्त कचरा भी होता है ।जिसकी आजकल बहुत चर्चा है ।यह कचरा मन -मस्तिष्क को प्रभावित करता है । पुरातनपंथी इसे सांस्क्रतिक प्रदुषण कि संज्ञा देते हैं । उनके अनुसार यह प्रदूषण समाज में अनाचार -और भ्रष्टाचार जैसी बीमारियां फैलाता है ।किन्तु आधुनिक उदारमान सज्जन इसे बुरा नहीं समझते बल्कि अन्य कचरे की भांति इसे भी उन्नति का रूप समझते हैं</span></span></span></span></span></span></span></span></span></span></span></span></span></span></span> ।</div><div style="text-align: justify;"> उपरोक्त विवेचन से स्पष्ट है कचरे का उन्नति से सीधा संबंध है , तो उन्नतिशील कहलाने के लिए आओ हम सब मिलकर खूब कचरा करें ।</div><div style="text-align: justify;"> </div><div style="text-align: justify;"> ।।बुरा न मनो होली है ,मान भी जाओ तो ..... हुड्दंगा है ।। </div><span><span><span><span><span><span><span><span><span><span> </span></span></span></span></span></span></span></span></span></span><br />
<b><br />
</b></div>dr.adityahttp://www.blogger.com/profile/14637784104071990226noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4213354763267243546.post-84200212815067950172012-02-21T03:58:00.000-08:002012-02-21T03:58:40.496-08:00<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><b style="background-color: white; font-family: Tahoma, Verdana; font-size: 11px; text-align: -webkit-auto;"><span style="color: blue;">http://www.PaisaLive.com/register.asp?4779136-6602220</span></b><span style="background-color: white; font-family: Tahoma, Verdana; font-size: 11px; text-align: -webkit-auto;"> </span> </div>dr.adityahttp://www.blogger.com/profile/14637784104071990226noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4213354763267243546.post-18167236134385896912012-02-21T03:53:00.001-08:002012-02-21T03:53:49.691-08:00<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><b style="background-color: white; font-family: Tahoma, Verdana; font-size: 11px; text-align: -webkit-auto;"><span style="color: blue;">http://www.PaisaLive.com/register.asp?4779136-6602220</span></b><span style="background-color: white; font-family: Tahoma, Verdana; font-size: 11px; text-align: -webkit-auto;"> </span> </div>dr.adityahttp://www.blogger.com/profile/14637784104071990226noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4213354763267243546.post-36286968308066592792012-01-30T00:15:00.000-08:002012-01-30T00:15:10.801-08:00हे राम<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><br />
<h6 class="uiStreamMessage" data-ft="{"type":1}"><span class="messageBody" data-ft="{"type":3}">हे राम <br />
===== <br />
दोस्तों बापू कि ६४ वीं पुण्य तिथि पर मैं बापू के जीवन क्रम को प्रस्तुत कर रहा हूँ :-<br />
१८६९ - २ अक्तूबर को पोरबंदर में जन्म |<br />
१८७६ - राज कोट में शिक्षारम्भ; कस्तूरबा से सगाई |<br />
१८८३ - कस्तूरबा से विवाह |<br />
१८८५ - पिताजी कि म्रत्यु |<br />
१८८७ - मैट्रिक परीक्षा पास ;भाव नागर के सामल दास कालेज में दाखिला |<br />
१८८८ - ४सितम्बर को शिक्षा के विलायत रवाना |<br />
१८८९ - पहला सार्बजनिक भाषण --इंग्लैण्ड कि निरामिषहारियों कि सभा में |<br />
१८९१ - १० जून को बैरिस्टर हुए ; ७ जुलाई को बम्बई पहुचे ;माता जी की म्रत्यु का समाचार मिला |<br />
१८९२ - राजकोट तथा बम्बई में वकालत |<br />
१८९३ - अप्रेल में मुकदमे के लिए दक्षिण अफ्रीका रवाना |<br />
१८९४ - जिस मुकदमे के लिए दक्षिण अफ्रीका गये थे ,उस का पञ्च -फैसला हुआ |<br />
१८९५ - नेटाल सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट हुए ; नेटाल भारतीय कांग्रेस का संगठन |<br />
१८९६ - छ: मास के लिए भारत आगमन ; तिलक , गोखले आदि नेताओं से भेंट ; २८ नवम्बर को वापसी |<br />
१८९७ - डरबन लौटने पर विरोधी प्रदर्शन ;जीवन में महान परिवर्तन |<br />
१८९९ - बोअर -युद्ध में अंग्रेजों की सहयता |<br />
१९०१ - राजकोट में महामारी -कमेटी दुवारा सेवा ;भारत आगमन ; कलकत्ता में कांग्रेस में शामिल |<br />
१९०२ - बर्मा यात्रा ;रेल के तीसरे दर्जे में भारत प्रवास |जुलाई में बम्बई में आफिस ;तीन महीने बाद अफ्रीका पुन:प्रस्थान |<br />
१९०३ - ट्रांसवाल ब्रिटिश इण्डिया एसोसिएशन की स्थापना ; इन्डियन ओपिनियन की स्थापना |<br />
१९०४ - गीता अध्यन , रिस्कन "अन्टूदिस लास्ट " को पढ़ कर जीवन में क्रन्तिकारी परिवर्तन ; फिनिक्स -आश्रम की स्थापना |<br />
१९०६ - जुलू -विद्रोह ;घायलों की सेवा ; ब्रह्मचर्य से रह ने की प्रतिज्ञा ; सत्याग्रह शब्द का अविष्कार ; शिष्ट मंडल के सदस्य के तौरपर इंग्लैण्ड रवाना |<br />
१९०७ - खुनी कानून के विरुद्ध सत्याग्रह |<br />
१९०८ - अंतरिम समझोता ;पठान द्वारा हमला ; पुन : सत्याग्रह ; गिरफ़्तारी |<br />
१९०९ - टालस्टाय को पहला पत्र ; दूसरी बार मंडल में इंग्लैण्ड रवाना ; वापसी में जहाज पर "हिंद -स्वराज्य " लिखा |<br />
१९१० - जोहान्सबर्ग में टालस्टाय- फार्म की स्थापना |<br />
१९१२ - गोखले की अफ्रीका की यात्रा ; "नीति धर्म ' प्रकाशित ; "आरोग्य -विषयक सामान्य ज्ञान " पुस्तक लिखी |<br />
१९१३ - सत्याग्रह फिर आरम्भ ; गिरफ्तारी व् रिहाई ;सात दिन का उपवास तथा साढ़े चार मास तक एक समय भोजन |<br />
१९१४ - १४ दिन का उपवास ; सत्याग्रह की सफलता ४ अगस्त से प्रथम महा युद्ध ; सरोजनी नायडू से परिचय |<br />
१९१५ - "कैसरे -हिंद " मैडल की प्राप्ति ;काका कालेलकर व् आचार्य कृपलानी से परिचय ; १९ फरबरी को गोखले की म्रत्यु |<br />
१९१६ -- काशी विश्वविध्यालय की स्थापना ;भाषण ;लखनऊ कांग्रेस मै जवाहर लाल नेहरु से पहली बार भेंट |<br />
१९१७ - राजेंद्र बाबु से पहली भेंट ;१९ अप्रेल को चम्पारण सत्याग्रह ;३१ मई को गिरमिटिया कानून रद्द ;३०जुन को दादा भाई नोरोजी की म्रत्यु |<br />
१९१८ - अहमदाबाद में मजदूरों के साथ तीन दिन का उपवास ; खेडा -सत्याग्रह ;चरखे का पुनर्द्धार|<br />
१९१९ - रौलट -कानून ;६ अप्रैल उपवास दिवस ;१३ अप्रैल को जलियाँ वाला बाग कांड ;यंग इण्डिया ,नवजीवन का सम्पादन शुरू |<br />
१९२० - १अगस्त को लोकमान्य तिलक की मृत्यु ;गाँधी जी द्वारा तैयार कांग्रेस का संविधान स्वीकृत ;असहयोग आन्दोलन आरम्भ |<br />
१९२१ -- प्रिंस आफ वेल्स के आगमन के बहिष्कार के कारण दंगा ; ५दिन का उपवास |<br />
१९२२ - ५ फरवरी को चौराचोरी कांड ;५दिन का उपवास ; १० मार्च को गिरफ़्तारी ; ६ वर्ष की सजा |<br />
१९२४ - अपेंडीसाइटिस का आपरेशन ; ५ फरवरी को रिहाई ;२४ सितम्बर को हिन्दू - मुस्लिम एकता के लिए २१ दिन का उपवास |<br />
१९२५ -चरखा संघ की स्थापना |<br />
१९२७ - खादी यात्रा ; |<br />
१९२८ - साइमन कमीशन ; बारडोली - सत्याग्रह ; १७ नवम्बर को लालाजी की म्रत्यु ;|<br />
१९२९ - लाहौर कांग्रेस में पूर्ण स्वाधीनता का प्रस्ताव |<br />
१९३० - २६ जनवरी को पूर्ण स्वाधीनता की प्रतिज्ञा ; १२मर्च को नमक कानून तोंड़ने के लिए दांडी- यात्रा ; ५ मई को गिरफ्तारी |<br />
१९३१ - ४ जनवरी को इंग्लैण्ड में मौ .मुहम्मद अली की म्रत्यु ;२५ जनवरी को रिहाई ;६ फरवरी को पं .मोती लाल नेहरु की म्रत्यु ;४ मार्च को गाँधी इरविन पैक्ट ;२४ मार्च को भगत सिंह को फासी <br />
२५ मार्च को गणेश शंकर विद्यार्थी का वलिदान ;दूसरी गोल मेज -कांफ्रेंस में भारत के एक मात्र प्रतिनिधि के रूप में शामिल ;दिसम्बर में कांफ्रेस से खली हाथ लौटे |<br />
१९३२ - कांग्रेस गैरकानूनी घोषित ;सत्याग्रह फिर से आरम्भ ; ४ जनवरी को गिरफ़्तारी ;नवजीवन ,यंग इण्डिया पत्र बंद ;२० सितम्बर से सामप्रेदायिक निर्णय के विरोध में आमरण अनशन ;२४ <br />
सितम्बर को यरवदा पैक्ट ;२६ सितम्बर को उपवास समाप्त |<br />
१९३३ - ८ मई से २१ दिन का उपवास ; "हरिजन " पत्र का शुरू ;एक वर्ष की सजा ;१६ अगस्त से आमरण उपवास जो एक सप्ताह चला ;२० सितम्बर को एनी बेसेंट की मृत्यू ; २२ सितम्बर को <br />
विट्ठल भाई पटेल की मृत्यू ; साबरमति आश्रम का विसर्जन ; वर्धा में रहने का निश्चय ;७ नवम्बर से हरिजन - यात्रा |<br />
१९३४ - बिहार - भूकंप ; ७ मई को सत्याग्रह स्थगित ; ७ दिन का उपवास ; २६ अक्तूबर को ग्रामोधियोग -संघ की स्थापना ;<br />
१९३५ - कांग्रेस की स्वर्ण जयंती |<br />
१९३६ - १० मई को डा . अंसारी की मृत्यू ; सेवा - ग्राम आश्रम की स्थापना |<br />
१९३७ - जुलाई में कांग्रेस -पद ग्रहण ; ने तालीम शुरू |<br />
१९३९ - ४ जनवरी को मौ . शौकत अली की मृत्यू ; राजकोट में आमरण अनशन ; वाईसराय के हस्तक्षेप से ४ दिन में समाप्त ; सुभाष बाबु का कांग्रेस के अध्यक्ष पद से त्याग | ३ सितम्बर को <br />
दूसरा विश्व युद्ध शुरू ; |<br />
१९४० - ११ अक्तूबर से व्यक्तिगत सत्याग्रह - बिनोवा प्रथम सत्याग्रही ; हरिजन पत्रों पर रोक |<br />
१९४१ - ७ अगस्त को रविन्द्रनाथ ठाकुर की मृत्यू ; ३० सितम्बर को गो -सेवा -संघ की स्थापना |<br />
१९४२ - कांग्रेस का नेत्रत्व ; ११ फरवरी को सेठ जमना लाल की मृत्यू ; क्रिप्स मिशन ; हिन्दुस्तानी प्रचार - सभा की स्थापना ; ८ अगस्त को भारत छोडो प्रस्ताव ; ९ अगस्त को पूरे भारत में <br />
सामूहिक गिरफ्तारियां ; १५ अगस्त को महादेव भाई की मृत्यू |<br />
१९४३ - आगाखां महल में २१ दिन का उपवास |<br />
१९४४ - २२ फरवरी को कस्तूरबा गाँधी की मृत्यू ; ६ मई को जेल से रिहाई ; गाँधी -जिन्ना वार्ता |<br />
१९४५ - जेल से सभी नेताओं की रिहाई ;पहली शिमला कांफ्रेंस |<br />
१९४६ - केबिनेट - मिशन ;मुस्लिम लीग दुवारा १६ अगस्त को "सीधी कार्यवाही " का दिन ;साम्प्रदायिक दंगे ;नोआखाली की पैदल यात्रा शुरू |<br />
१९४७ - १५ अगस्त को स्वतंत्रता -प्राप्ति ; कलकत्ता में ७३ घंटे का उपवास |<br />
१९४८ - दिल्ली में शांति -स्थापना तथा आमरण अनशन ; पांच दिन चला | ३० जनवरी को महाप्रयाण |<br />
<br />
हे राम ! <br />
<br />
जय भारत ,जय हिंद ,जय बापू ||</span></h6></div>dr.adityahttp://www.blogger.com/profile/14637784104071990226noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4213354763267243546.post-12027642619486007842012-01-14T23:28:00.001-08:002012-01-15T00:40:35.320-08:00BARF,DHOOP,OR AANKHEN<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><span style="font-size: x-large;">बर्फ,धूप,और आँखें :- </span><br />
<span style="font-size: x-large;">==============</span> <br />
नमस्कार दोस्तों ,बर्फ की चादर ओढ़े पहाड़ों पर सूरज भी ईद के चाँद जैसा होता है |मुश्किल से नजर आता है , और जब इसका दीदार होता है तो सभी इसको देखने के लिए निकल पड़ते है |बर्फ के पहाड़ की चोटीसे निकलता हुआ सूरज ..... बड़ा ही मनोहारी द्रश्य होता है लेकिन दोस्तों बर्फीले इलाके में धूपखाना अक्लमंदी नहीं |इस से आँखों का नूर छिन सकता है |एक जापानी रिसर्च के मुताबिक बर्फीले इलाके में अल्ट्रावायलेट किरणों का स्तर समुन्द्र तटीय इलाके से ढाई गुना ज्यादा हानिकारक है |<br />
कनाजावा मेडिकल युनिवर्सटी के वैज्ञानिक उत्तरी जापान स्तिथ इशिकावा प्रिफेक्चर में ताजा गिरी बर्फ पर प्रकाश का परावर्तन परखने के बाद इस नतीजे पर पहुंचे |इस के लिए उन्होंने यहाँ पर बसे कृतिम तट में अल्ट्रावायलेट किरणों का स्तर भी आंका | शोधकर्ताओं के अनुसार तटीय क्षेत्र में आँखें रोजाना २६० किलोजूल प्रति वर्ग मीटर अल्ट्रावायलेट किरणों के संपर्क में रहती हैं |जबकि बर्फीले इलाके में यह आकड़ा ६५८ किलोजूल / वर्ग मीटर है |शोधकर्ताओं की मानें तो अल्ट्रावायलेट किरणें त्वचा से ज्यादा आखों के लिए खतरनाक हैं | बर्फीले इलाके में इनसे बचना है तो सनग्लास से बेहतर होगा किआप गागल्स लगायें |<br />
इन जगहों पर धूप में ज्यादा देर तक रहने से स्नो ब्लाइंडनेस ,मोतियाबिंद , और आँखों में जलन खतरा बड़ जाता है |समुंद्री तट पर अल्ट्रावायलेट किरणों का परावर्तन अमूमन १० से २५ फीसदी के बीचहोता है | वहीं बर्फीले इलाके में यह ८५ फीसदी है |३०० मीटरऊंचाई बढने पर यह स्तर ४ फीसदी तक बड़ जाता है |<br />
देखा दोस्तों हम तो यही कहेंगे कि सुन्दरता को जी भर के निहारिये पर जरा एतिहात से ....|<br />
</div>dr.adityahttp://www.blogger.com/profile/14637784104071990226noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4213354763267243546.post-78502231785676821492012-01-08T02:03:00.000-08:002012-01-08T02:03:37.722-08:00<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><span style="font-size: x-large;">सा...... करेक्टर ढीला हैं </span>....<br />
===================== ============ नमस्कार मित्रो ,हमारी राजनीती और राजनेताओं का चरित्र दिनों -दिन कितना अधोगामी होता जा रहा हैं<br />
यह एक सोचनीय बिषय बनता जा रहा हैं | ये सब कुछ आज से नही वर्षों पहले से होता आया हैं|पहले इक्का<br />
दुक्का पर अब तो कुछ वर्षों से लगातार इनके चरित्र चित्रण हर अख़बार के मुख्य पृष्ट की शोभा बड़ा रहे हैं |<br />
आंध्र प्रदेश के महान राजनीतिज्ञ पुरोधा एन. टी. रामा राव और शिक्षिका लक्ष्मी पार्वतीके किस्से<br />
पूर्व राज्य मंत्री चिन्मयानंद और चिदर्पिता के किस्से ,ये उस समय केहैं जब मिडिया इतना मुखर नहीं था |<br />
और राजनीती भी मिडिया पर हाबी थी ,पाबंदी थी| अगर किसी अख़बार में छपी तो एक छोटे से कालम में<br />
|आम जनता को पता ही नहीं चलता था और उस समय अख़बार भी हर जगह नही पहुच पते थे | जब से<br />
मिडिया बलवती हुआ है इन के चरित्र की पोल खुल कर जनता के सामने आने लगी हैं |<br />
पूर्व राज्य पाल एन. डी. तिवारी कांड ,मधुमती कांड, ये भी नेताओं से जुढ़े हैं |और हल ही मैं उभर के आया<br />
भवरी देवी कांड जिस मैं भी एक नेताजी का चरित्र उभर कर आया हैं |ये सभी हम लोगों के दुवारा ही चुन<br />
कर ही भेजे गये है |<br />
क्याइन केसों की निष्पक्ष जाँच हो पायेगी ?क्या इनको भी आम जनकी तरह सजा<br />
मिलपाएगी |या सजा के नाम पर इनको मिलेगी पञ्च सितारा जेल जहाँ इन के एशों आराम की <br />
सभी सुबिधायें उपलब्ध करा दी जाती हैं | इन्होने तो आपनी उम्र का भी लिहाज नहीं किया |<br />
दोस्तों ये काम अगर आम युवा करता तो लोग शायद यही कहते ... सा ... करेक्टर ढीला <br />
हैं | </div>dr.adityahttp://www.blogger.com/profile/14637784104071990226noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4213354763267243546.post-66603022204516532352012-01-01T01:16:00.000-08:002012-01-01T01:16:44.724-08:00<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><span style="font-size: x-large;">"मात्रभाषा " </span><br />
================ दोस्तों नमस्कार ,नव-वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं .मित्रो हम सभी लोग अपनी -अपनी स्थाननिय भाषा का प्रयोग ही अपनी दैनिक दिन चर्या में करते हैं |और ये होना भी चाहिए ,जो प्रेम ,अपनत्व ,जो भावना हम अपनी मात्र भाषा में व्यक्त कर सकतें है किसी अन्य भाषा में पूर्ण रूप से नहीं कर सकते ,अगर किसी अन्य भाषा में कर भी दी तो उस में पूर्णता नहीं होती ,अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता अन्य भाषा के शब्द आप को नहीं दे सकते ,जो आप व्यक्त करना चाहते है | इसी लिए कहते है कि मात्र भाषा भावना प्रधान होती है |<br />
मित्रों हमारा हसना ,रोना ,गाना सब कुछ हमारी मात्र भाषा में ही होता है और हमारे प्रियजन भी इसी भाषा को अच्छी तरह समझते है |<br />
अब मैं आप से पूछना चाहता हूँ ,कि क्या नवजात शिशु कि भी कोई भाषा होती है ? यह सबाल कुछ हैरान करने बाला हो सकता है लेकिन एक नए अध्ययन में पाया गया कि बच्चे गर्भावस्था में ही अपनी मात्र भाषा को समझने लगते है | अरे आपने अभिमन्यु का नाम तो सुन ही रखा होगा ,ये तो महाभारत काल में ही सिद्ध होगया था |जर्मनी के वर्जबर्ग विश्वविध्यालय के शोधकर्ता के एक दल ने ६० नवजात बच्चों के रोने का विश्लेषण किया |मुख्य शोधकर्ता कैथलीन वर्मके ने बताया कि नवजात न केवल अलग अलग तरह से रोते है बल्कि उस तरह की आवाज भी निकालते हैं जो गर्भ में रहते हुए अंतिम तीन महीनों के दौरान उनके कानों तक पहुचती हैं | कैथलीन ने बताया कि गर्भकाल के अंतिम समय में बच्चे अपनी मां की आवाजें सुनते है और अपने रोने में भी इसी तरीके की नकल करते है | दल ने विश्लेषण के दौरान तीन से पांच साल की आयु के ६० नवजातों के रोने की आवाज सुनी |इन में से ३० फ्रेंच भाषी परिवारों से थे और ३० जर्मन भाषी परिवारों से थे |उन्होंने इन शिशुओं की मात्रभाषा के आधार पर उनके रोने के तरीकोंमें अंतर को स्पष्ट किया |जहाँ फ्रांसीसी नवजात को ऊँची लय के साथ रोते सुना गया ,वहीं जर्मन शिशु नीची लय में रो रहे थे | वर्मके ने बताया कि यह पैटर्न दोनों भाषाओँ के बीच लक्षणात्मक अंतर जैसा ही हैं |<br />
देखा मित्रों अपनी मात्रभाषा तो हम मां के पेट से ही सीख कर आते है ,फिर भी उसे अपनाने में लज्जा महसूस करते है ..... ...... क्यूँ ..... ? </div>dr.adityahttp://www.blogger.com/profile/14637784104071990226noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4213354763267243546.post-76279497602201104452011-12-25T01:24:00.000-08:002011-12-25T01:24:31.972-08:00<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><div style="text-align: left;"><span style="font-size: x-large; text-align: justify;"> हम शाकाहारी है या मांसाहारी ? </span><span style="text-align: justify;">दोस्तों नमस्कार ,वाकई ये एक बड़ा अजीव सा सबालहै कि हम लोग हें क्या ?शाकाहारी या मांसाहारी |जो शाग सब्जी हम और आप खाते है वैज्ञानिक उस पर भी शंका पैदा कर देते हें |आपको जानकर आश्चर्य होगा कि टमाटर और आलू जैसे वनस्पति पौधे भी मांसाहारी होते है जो स्व -निषेचन के लिए कीटों की हत्या करते है |क्यू एंड क्वीन मैरी ,लन्दन विश्वविध्यालय के रायल बोटनिकल गार्डन्स के वैज्ञानिकों ने पाया कि ये पौधे अपने तनों पर पाए जाने वाले चिप चिपे बालों से छोटे छोटे कीटों को पकड कर मार डालते है |बोटानिकल जर्नल आफ द लिनिय्ल सोसायटी में प्रकाशित अध्ययन मे कहा गया हैं कि इस के बाद वे अपनी जड़ों की मदद से इन कीटों के शरीर में पाए जाने वाले पोषक तत्वों को चूस लेते हैं और फिर वे इन कीटों को छोड़ देते हैं |</span><br />
क्यू एंड क्वीन मैरी के प्रोफेसर मार्क चेज ने कहा कि उगाये हुए टमाटर और आलू के पौधे पर रोम पाए जाते है |खासतौर पर टमाटरों पर यह चिपचिपे होते हैं जिससे ये नियमित तौर पर कीटों को पकड़ते रहते हैं और अपना आहार ग्रहण करते हैं | पहले ऐसा मानाजाता था कि जंगली पौधों ने यह तकनीक जमीन की गुणवत्ता में कमी के कारण अपने पोषक तत्वों की कमी को पूरा करने के लिए विकसित की होगी लेकिन बागानों में उगाई गयी किस्मों में भी यह गुण बनारहता हैं |<br />
वीनस फ्लाई ट्रैप मांसाहारी पौधे के रूप में खासा पहचाना जाता है | माना जाता है कि मांसाहारी पौधों की संख्या लगभग ५० तक हो सकती है | चेज ने कहा कि हमारी सोच से ज्यादा मांसाहारी पौधे हमारे आसपास पाए जाते है पर हम उनको अचल और नुकसान रहित मानने के आदी हो गये है |<br />
दोस्तों मांसाहारी पौधों कि बात पर हम अपने आपको असहज महसूस कर करते है और जब बात आलू,टमाटर जैसी सब्जियों की हो तो यह विषय एक चर्चा का कारण बन जाता है |<br />
पर किसी भी शोध को यूँ ही नही नकारा जा सकता |---------- <br />
<br />
<br />
<br />
<br />
</div></div>dr.adityahttp://www.blogger.com/profile/14637784104071990226noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4213354763267243546.post-23771983881875697912011-10-26T23:51:00.001-07:002011-10-27T01:19:25.752-07:00<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><span class="Apple-style-span" style="font-size: x-large;">उड़ने वाली कार :-</span><div><span class="Apple-style-span" style="font-size: x-large;">=========== </span>दोस्तों दीपावली ,गोधन , भाई-दूज की शुभ-शुभ कामनाएं | दोस्तों महानगरों में बड़ती आबादी से ट्रेफिक रेंगता नजर आता है | मन करता है ऐसी फिलाईंग कार हो जो सड़क से ही हवाईजहाज की तरहा उड़ने लगे |फ़िक्र न करिये शायद इस शदी में ऐसी कार होगी जो सच मुच हवा से बात करेगी |ऐसी कार जो हवा में उड़ सकेगी ,सडकों पर दोड़ेगी|</div><div> अमेरिकी कम्पनी "टेरफुगिया ट्रांजिशन " के इंजीनियरों ने इस कार को "फ़्लाइंग कार "नाम दिया है | कार की क्षमता दो यात्रियों की है | सड़क पर दौड़ रही फ़्लाइंग कार सिर्फ ३० सैकिंड में हवा में उड़ने के लिए तैयार होगी |जिसकी टैक ऑफ़ स्पीड :३५ मील प्रति घंटा हैं |जब जरूरत होगी तो कम ऊंचाई पर उड़ने के साथ यह तीव्रता से दुवारा सड़क पर आ जाएगी |इस कार ने मार्च २००९ में अपनी पहली उडान भरी थी |कम्पनी के उपाध्यक्ष रिचर्ड गर्श ने कहा कि कार आटोमोबाइल का विकल्प नही बल्कि ट्रेफिक मई आने वाली दिक्कतों को दूर करने कि जादुई चाभी हैं |</div><div> डाइत्रिच ने कहा कि मैजिक कार में वाहन चालकों को किसी भी जमीन या आसमान में जाने कि सुभिधा होगी |मौसम ख़राब होने यह कार अपने पंख मोड़ लेगी और आम गैराज में भी खड़ी हो सकती हैं |</div><div> दोस्तों तैयार रहिये ऐसी कार के स्वागत के लिए |अब मैं बताता हूँ फ़्लाइंग कार के इतिहास के बारे में :- # ऐसी पहली कार "वाल्डो वाटर मैन" ने बनाई|</div><div> # पहली कार जैव इधन चालित थी, रफ्तार ७८ मील /घंटा |</div><div> #२० फिट ६ इंच लम्बी कार ने २१ मार्च १९३७ को उडान भरी |</div><div> #१९२६ में हेनरी फोर्ड ने स्काई फीवर नाम का वाहन बनाया |</div><div> #एयरो कार :१९४९" ने २००६ तक उडान भरी |</div><div> # एयारा ऑटो पि एल ५ सी : १९५० के शुरुआत में बनी |</div><div> #ए वि ई मिजार :७३ सेसना स्काई मास्टर -फोर्ड का सयुक्त उपक्रम हैं | </div><div><span><br />
</span></div><div><span><br />
</span></div><div><span><br />
</span></div></div>dr.adityahttp://www.blogger.com/profile/14637784104071990226noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4213354763267243546.post-85273004962379274392011-05-29T02:03:00.000-07:002011-05-29T02:03:20.452-07:00<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><div style="text-align: left;"><span style="font-size: large;">बेटे या बेटियां :-</span></div><div style="text-align: left;"><span style="font-size: large;">========== </span><span style="font-size: small;">लड़कियों ने फिर बाजी मारी |जो अक्सर इन दिनों सुना जाता है , बारहवी के रिजल्ट आ गए, उससे पहले दसवीं की आए और हर अखवार की यही हेड लाइनथी कि लडकियों ने फिर बाजी मार ली | तमाम बन्धनों के बावजूद लडकियाँ कैसे मारजाती हैं बाजी |</span></div><div style="text-align: left;"> इस बात को नकारा नही जा सकता हैं कि बेटियों (लडकियों ) मेंजहाँ मन को बांधे रखने कि क्षमता होती है वहीं दूसरी ओर वे पढ़ाकू भी होती हैं | उन्हें बेटों कि तरह न तो बाहर जाने की छूट होती हैं न ही देर तक घर से बाहर रहने की इजाजत मिलती है | माता - पिता का कंट्रोल बेटों की अपेक्षा बेटियों पर ज्यादा होता है |माता -पिता चाहे कितने शिक्षित या उच्च पद पर क्यों न हो ,बेटी को घर का काम सिखाने में कोई कोताही नहीं बरतना चाहयते | इस लिए बहुत सारी चीजों को एक साथ करने की आदत उसे मेहनती बना देती हैं |</div><div style="text-align: left;"><span> बेटियों के साथ तो यह भेद भाव तो सदियों से चला आरहा है | बेटियां चाहे अपने परिवार का कितना ही नाम रोशन करलें कैसी ही परिस्तिथियों में ,पर पूजा जाता है तो बस इन कुल दीपकों को | इस विषय पर आज एक कविता मुझे बार - बार याद आ रही है जिसे मैं आप के लिए लाया हूँ </span></div><div style="text-align: left;"><span>:- </span></div><div style="text-align: left;"> बोये जाते हैं बेटे , और उग आती हैं बेटियां |</div><div style="text-align: left;"> खाद पानी बेटों में , और लहलहाती हैं बेटियां |</div><div style="text-align: left;"> एवरेस्ट की ऊँचाइयों तक ठेले जाते हैं बेटे </div><div style="text-align: left;"> और चढ़ जाती हैं बेटियां ||</div><div style="text-align: left;"> </div><div style="text-align: left;"> रुलाते हैं बेटे और रोती हैं बेटियां |</div><div style="text-align: left;"> कई तरह गिरते हैं और गिराते हैं बेटे ,</div><div style="text-align: left;"> और सम्भाल लेती हैं ,बेटियां ||</div><div style="text-align: left;"> </div><div style="text-align: left;"> सुख के स्वप्न दिखाते हैं बेटे ,</div><div style="text-align: left;"> जीवन का यथार्थ होती हैं बेटियां ||</div><div style="text-align: left;"> जीवन तो बेटों का हैं ,</div><div style="text-align: left;"> और मारी जाती हैं बेटियां ||</div><div style="text-align: left;"><br />
</div><div style="text-align: left;"> दोस्तों सोचो ,समझो , ....... ये कविता आप को कैसी लगी ..... क्या ये सच नही ? </div><div style="text-align: left;"> आपके सुविचारों की प्रतीक्षा मै........... ...... आप का ये दोस्त | </div></div>dr.adityahttp://www.blogger.com/profile/14637784104071990226noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-4213354763267243546.post-25328020798425580542011-05-15T02:16:00.000-07:002011-05-15T02:16:58.811-07:00MOUT KI GHATI<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><div style="text-align: left;"><strong><span style="font-size: x-large;">मौत की घाटी </span><span style="font-size: small;">:-</span></strong></div><div style="text-align: left;"><strong>---------------------------------------- आप भी ये सोच रहे होगे की में किस विषय के बारे मैं ये जानकारी साझा करना चाहयता हूँ |दोस्तों ये सच है , दुनिया में एक जगह एसी भी है जहाँ रेगिस्तान में पत्थर इस तरह घूमते है मनो सजीव हो | इन पत्थरों में कई तो ११५ किलो ग्राम तक भारीहैं | बिना किसी मदद के ये पत्थर आश्चर्यजनक रूप से इस घाटी की सतह पर एकदम सीधी पंक्ति में चलते हैं | </strong></div><div style="text-align: left;"><strong> ये घाटी जिसे लोग "डेथ वैली " के नाम से भी जानते हैं , अमेरिका का सबसे निचला बिंदु हैं | यह समुन्द्र तल से २८२ फिट निचे हैं | यह घाटी लगभग समतल है और अबतक दर्ज सबसे अधिक तापमान ,५८ डिग्री सेल्सियस वाली दूसरी जगह है | </strong></div><div style="text-align: left;"><strong> वैज्ञानिकों का माननाहै कि इन पत्थरों कि इस अद्भुत गतिविधि का कारण मौसम कि खास स्तिथि हो सकती है |इस बारे मे किए गए शोध बताते है कि रेगिस्तान में ९० मील प्रति घंटे की गति से चलने वाली हवाएं ,रात को जमने वाली बर्फ तथा सतह के उपर गीली मिटटी की पतली परत ,ये सब मिलकर पत्थरों को गतिमान करते होंगें |</strong></div><div style="text-align: left;"><strong> कुछ पर्यावरण विदों का मानना है कि जैसे-जैसे ताप मान में व्रद्धी होगी ,वैसे-वैसे पत्थरों का खिसकना बंद हो जाएगा | इस बारे में एक सिद्धांत यह बताया जाता हैं कि रेत की सतह के निचे उठते पानी और सतह के ऊपरबहती तेज हवाओं के मेल के कारण पत्थर खिसकते है |</strong></div><div style="text-align: left;"><div style="text-align: left;"><strong> फोटो ग्राफर माइक बायरन ने पत्थरों की हलचल को फिल्माने में कई साल बिताये हैं | "डेली टेलीग्राफ " को दिए साक्षात्कार में बायरन ने बताया -रेगिस्तान में अपने आप चलने वाले कुछ पत्थर आदमी के वजन जितने भारी हैं | इतने भारी पत्थरों का बिना बाहरी कारण के आगे सरकना बहुत ही आश्चर्य जनक और अविश्वसनीय है | उनके मुताबिक ये पहेली आज तक अनसुलझी ही है |</strong></div><div style="text-align: left;"><strong> १९८० हैम्पशायर ,मैसाचुसेट्स कालेज के प्रोफेसर ज़ोनरीड ने इन सरकते पत्थरों को लेकर एक अध्ययन किया |उनका निष्कर्ष था कि सम्भवतय रात को जमने वाली बर्फ और हवा मैं अद्भुत मेल से पत्थर सरकते होंगे |लेकिन इसे संतोषजनक उत्तर नही मन जाता | </strong></div></div></div>dr.adityahttp://www.blogger.com/profile/14637784104071990226noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4213354763267243546.post-45000414927988771812011-04-27T04:39:00.000-07:002011-04-27T04:39:54.760-07:00ALIENS<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><div style="text-align: left;">कहीं जमीं पर न आ जाये ........</div><div style="text-align: left;">____________________________</div><div style="text-align: left;">दो तीन दिन पहले एक क्लिप एक न्यूज़ चेनल पर बहुत दिखाई जा रही थी |यू ट्यूब पर भी कितने लोगो द्वारा देखी गयी |यह थी.. साईबेरिया की वर्फ में दबे हुए एलियंस के मृत शरीर की |</div><div style="text-align: left;">एलियंस कैसे होते है ,कहां रहते हैं और उनकी भाषा क्या है ?यह सवाल हम सबके लिए फ़िलहाल पहेली बने हुए हैं |जादू जैसे एलियंस महज किस्से कहानियों का हिस्सा नहीं है हकीकत में भी पृथ्वी से कोसों दूर उन जैसे कुछ जीवों ने अपनी दुनिया बसा रखी हैं विश्व के शीर्ष भौतिक वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग खुद इन जीवों के अस्तित्व की तस्दीक करते हैं |डिस्कवरी चेनल पर उन्होंने कहा कि वेशक एलियंस दुसरे ग्रहों पर साँस ले रहे है लेकिन इन्सान को उनसे दूरी बनाये रखने की कोशिश करनी चाहिए क्योंकि दोनों के बीच तकरार का नतीजा खतरनाक हो सकता है | उन्होंने चेताया कि एलियंस संसाधनों की तलाश में कभी भी पृथ्वी पर धावा बोल सकते है |लिहाजा वैज्ञानिक ऐसे कोई भी सुराग न छोड़े , जिसके निशान खगालते हुए वे हम तक पहुंच जाये स्टीफन की माने तो हमे एलियंस से सम्पर्क साधने की वजाय उन्हें नजरंदाज करना चाहिए |</div><div style="text-align: left;">सर्च फॉर एक्स्ट्रा तेरेस्तियल इंटेलिजेंस के संस्थापक वैज्ञानिक फ्रेंक ड्रेक ने एलियंस की जासूसी करने का सुझाव पेश किया |उन्होंने कहा इस काम के लिए सुदूर ग्रहों पर अन्तरिक्ष यान भेजे जाये| इस यान की मदद से इन ग्रहों पर रहने वाले एलियंस के वार्तालाप या संदेश सुने जाये | फ्रेंक की यह प्रस्ताव रिपोर्ट न्यू साइंटिस्ट मैग्जीन में छपी है |</div><div style="text-align: left;"> परन्तु हॉकिंग ने धरती से अन्तरिक्ष में रेडिओ सिग्नल छोड़ने के प्रति आगाह किया है इसके अलावा दुसरे ग्रहों पर यान भेजने से मना किया है जिनपर पृथ्वी का रास्ता सुझाने वाले नक्शे मौजूद हों | हॉकिंग ने कहा मेरी गणित की समझ मुझे एलियंस की मौजूदगी को सिरे से ख़ारिज करने से रोकती है |इन्सान की भलाई इसी मे है की वे उनसे दूर रहें |</div><div style="text-align: left;"><br />
</div></div>dr.adityahttp://www.blogger.com/profile/14637784104071990226noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-4213354763267243546.post-77409382834297087192011-04-20T01:12:00.000-07:002011-04-26T23:42:11.817-07:00ABHI TO MAIN JAWAN HOON........<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><div style="text-align: left;">अभी तो मैं जवान हूँ :-</div><div style="text-align: left;">----------------------</div><div style="text-align: left;">वह दिन दूर नही जब यह गाना आपके लिए हकीकत बन जायेगा किअभी तो मैं जवान हूँ ........| वैज्ञानिकों ने अमृत का एक फॉर्मूला तैयार किया है |इसे ग्रहण करने के बाद इंसान न केवल शारीरिक रूप से वृद्ध होगा न मानसिक रूप से |उसकी सभी इन्द्रियां युवा कि तरह काम करती रहेंगी</div><div style="text-align: left;">इस पर जापान के साथ भारत में काम चल रहा है |वैज्ञानिकों ने इस फॉर्मूले पर काफी हद तक सफलता हासिल कर ली है |</div><div style="text-align: left;"><div style="text-align: left;">काशी हिन्दू विश्व विद्यालय के अमीरिट्स चिकित्सा विज्ञानी प्रो. रामहर्ष सिंह ने अश्वगंधा के सटीक मात्र में प्रयोग से रसायन तंत्र के तहत औषधि का फॉर्मूला तैयार किया है |ब्रिटन के चिकित्सकीय जनरल " BIOJERONOTOLOJI " में उनका शोध प्रबंध प्रकाशित हो चुका है | उनकी सोच है कि दुनिया में बुजुर्गों की आबादी बढ रही है ऐसे मे जरुरी हो गया है की उनकी मेधा और कार्यशक्ति को लम्बी अवधि तक जवान रखा जाये |प्रो. सिंह ने बुढ़ापा के १४ प्रमुख लक्षणों स्मृति का कम होना , नींद की कमी ,त्वचा मे झुर्रियां ,आंख की रौशनी क्षीण होना ,बालों की सफेदी ,श्रवन शक्ति में कमी ,अवसाद या डिप्रेशन ,चित्तोद्वेग या एनजायती, मूत्र सम्बन्धी विकार ,हड्डियों में दर्द , संज्ञान क्षमता का कम होना तथा इन्द्रिय सम्बन्धी विकार को ज्यादा समय तक टालने पर काम किया है |उन्होंने अश्वगंधा के प्रयोग के उचित मात्रा में प्रयोग द्वारा मानव शरीर के आणविक पोषण की प्रक्रिया को सही करने पर काम के तहत वाराणसी के ३५ से ४० वर्ष उम्र के सौं लोगों पर परिक्षण किया | हर छह माह पर दो बार दवा के प्रयोग का निष्कर्ष जांचा गया तो पता चला की दवा के प्रयोग से जहाँ याददास्त बड़ी, वहीँ बुढ़ापे में होने वाले बायोलोजिकल क्षरण और मानसिक सेहत का क्षरण भी कम हुआ यानि बुढ़ापे के लक्षणों के पनपने की गति मंद पाई गयी |</div></div><div style="text-align: left;">अमेरिका में जीन के आधार पर म्रत्यु टालने पर कुछ वैज्ञानिक काम कर रहे है |ब्रिटिश जनरल ऑफ़ फर्मोकोलोजी मे प्रकाशित डॉ. क्बोयामा के नेतृत्व वाले जापानी वैज्ञानिकों के शोध प्रबंध में दिमागी कोशिकाओं को अश्वगंधा के प्रभाव से पुनर्जीवित करने पर फ़ोकस है |लेकिन अश्वगंधा के प्रयोग से बुढ़ापा टालने का प्रो. सिंह का शोध ज्यादा सटीक है | </div></div>dr.adityahttp://www.blogger.com/profile/14637784104071990226noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4213354763267243546.post-26933236782579153142011-03-27T01:01:00.000-07:002011-03-27T01:01:00.642-07:00JAPAN<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><div style="text-align: left;">भूकंप,सुनामी , परमाणु रिसाव और ज्वालामुखी विस्फोट जैसी महात्रास्दियों का सामना कर रहे जापान की चर्चा हर तरफ है पर आज मैं आप को एक समुद्री महाकाल के बारे में बता रहा हूँ जो प्रशांत महासागर में जापान के निकट है |एक एसा इलाका जहाँ बड़े -बड़े जहाज पल भर मै गुम हो जाते है ,पानी को छोडिये इस इलाके मै हवा मै भी मौत तैर रही है ,सिर्फ जहाज ही नही हवाई जहाज भी इस इलाके को पार पार नही कर पाते | ये इलाका है प्रशांत महासागर मै जापान के मियाकी द्वीप के पास" ड्रेगन ट्रायंगल " एसा रहस्यमय त्रिकोण ,जिससे कोई बापस नही आया |जो लोग इस के करीब गये उन्होंने अजीब सी घटनाए महसूस की इस इलाके के पास जाते ही उनके जहाज का नेविगेशन सिस्टम काम करना बंद करदेता है | दिशाओं का कुछ पता नहीं चलता ,कई बार उन्हें बिजली जैसी रौशनी दिखाई दी ,मौसम में बड़े बदलाव देखे समुद्री तूफान व् उफनते चक्र्बात देखे | छोटे -२ पोत से लेकर दो लाख टन तक के जहाज इस त्रिभुज मै समागये |इतिहासकारों की माने तो १३वि सदी में मंगोलिया के राजा कुव्लाई खान ने दो बार जापान पर इस रस्ते से हमला करने की कोशिश की विफल रहा , उसकेचालीस हजार सैनिक इस त्रिभुज की भैट चढ़ गए ,उस वक्त जापान ने इसे कुदरत कीमेहरवानी माना </div><div style="text-align: left;">सैकड़ों साल बाद भी सैनिकों के गायब होने का रहस्य उसी तरह बरकरार है | १९५२ से ५४ के बीच जापान </div><div style="text-align: left;"><div style="text-align: left;">के पांच सैन्य जहाज इस त्रिभुज मैं गायब हो गये थे | इनमे सात सौ से भी ज्यादा सैनिको की जान गयी |इसके बाद </div><div style="text-align: left;">जापान ने इस इलाके को खतरनाक घोषित कर दिया |</div><div style="text-align: left;"> आखिर क्यों ,गम हो जाते है बड़े बड़े जहाज ?क्या है इस त्रिकोण का रहस्य ?इसका फैलाब कितना है ?ये प्रथ्वी पर जिस जगह बनता है उसमे भी एक हैरान करने बलि बात है| प्रथ्वी के केंद्र से अगर कोई रेखा खिची जाये तो एक तरफ ड्रेगन ट्रएंगल होगा तो दूसरी तरफ वारमुडा ट्राएंगल यानि दो एक जैसे इलाके एक दुसरे के ठीक विपरीत दिशा मैं |वैज्ञानिक इस में भी कुछ सम्बन्ध मानते है |उनेंह शक है कि यहाँ प्रथ्वी के ग्रुत्वाकर्शन का चक्कर हो सकता है | कुछ मानते है कि इस के निचे मिथाइल हाइड्रेड काफी मात्रा में मौजूद है जब यहाँ का तापमान १८ सेल्सियश से ऊपर चला जाता है तो एकाएक गैस में बदल जाता है जिस से समुद्र में हलचल होती है उसीके कारण ये दुर्घटनाएं होती हैं|</div><div style="text-align: left;"> अमरीकी खोजकर्ता चार्ल्स वर्लिथ ने अपनी किताब "ड्रेगन ट्राएंगल "में इन बातों का जिक्र किया है एक और वैज्ञानिक लैरी कुशे ने भी इस इलाके पर खोज कि उन्होंने दावा किया कि यहाँ अक्सर भूकम्प आते है ,ज्वालामुखी फटते है जिसमें जहाज फंस जाते है,पर जहाजों का मलवा कहाँ जाता है ,इसका कोई जवाब नही दे पाते |कुछ लोग इसे दूसरी दुनिया का दरवाजा मानते है ,कुछ इसे एलियंस का इलाका | वैज्ञानिक थ्योरी हो या मान्यताएं अब तक सिर्फ कयास लगाये जा रहे है कोई ठोस प्रमाण नही | </div><div style="text-align: left;"><span><span> </span></span> || वन्दे -मातरम | | </div></div></div>dr.adityahttp://www.blogger.com/profile/14637784104071990226noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-4213354763267243546.post-9321615360135389052011-02-27T03:16:00.000-08:002011-02-27T03:16:46.358-08:00<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><div style="text-align: left;"><span style="font-size: x-large;">कैंसर की पीड़ा :-</span></div><div style="text-align: left;"><span style="font-size: x-large;">----------------- </span></div><div style="text-align: left;"><span style="font-size: small;">कैंसर एक असाध्य रोग है यह बात हम सभी जानते है ,परन्तु इस रोग के साथ एक असहनीय दर्द भी साथ बना रहता है जिसका उपचार फोरी तोर पर ही उपलब्ध है जब तक दर्द निवारक दवाओं का असर रहता है ,दर्द से थोड़ी राहत मिल जाती है , असर खत्म होते ही फिर वही पीड़ा ,परन्तु अब हमारे आयुर्वेदिक डाक्टरों ने एक आशा की दिखाई है |</span></div><div style="text-align: left;"><span style="font-size: small;"> रोग में होने वाली पीड़ा को खत्म करने की दवा बी एच यू के तीन डाक्टरों की टीम ने सौ मरीजों पर परीक्षण कर खोज निकला |परीक्षण करने के बाद पाया किआयुर्वेदिक ओषधियाँ कैंसर पीड़ित मरीजों कि रोग - प्रतिरोधक क्षमता तो बढाती ही है ,साथ ही दर्द से भी छुटकारा दिलाती है |</span></div><div style="text-align: left;"><span style="font-size: small;"> तीन साल पूर्व बी एच यू रेडियोथेरेपी विभाग के डाँ.यूपी शाही ,आयुर्वेद के संज्ञाहरण विभाग के प्रो .केके पांडे तथा शोध छात्र सच्चिदानन्द ने कैंसर पीड़ित मरीजों पर शोध कार्य शुरू किया था | शोध कर्ताओं ने सात आयुर्वेदिक ओषधियों अश्वगंधा ,ब्राह्मी ,शंख पुष्पी,रासना ,अरंड ,निर्गुन्डी ,और भ्रंग राज का परीक्षण १०० मरीजों पर किया |परीक्षण में मरीजों को दर्द से निजात मिली |</span></div><div style="text-align: left;"><span style="font-size: small;"> आम तौर पर कैंसर के इलाज में सर्जरी ,कीमोथेरेपी और रेडियो थेरेपी विधी उपयोगी है |चिकित्सकों के अनुसार इन विधियों से कोशिकाओं कि क्षति ज्यादा हो जाती है | जिसके चलते रोगीयों की प्रतिरोधक क्षमता कम होने लगती है |प्रथम चरण में दर्द निवारण का समाधान ढूंढ़ लिया गया है|इन ओषधियों के मिश्रण से दवा तैयार कर ली गयी है |दूसरे चरण के शोध में इस बात का पता लगाया जा रहा है कि कैंसर ग्रस्त कोशिकाओं को कैसे उर्जावान बनाया जाये |इसके लिए गिलौय ,अदरक ,सतावरी तथा अश्व गंध पर परीक्षण किया जारहा है| </span></div><div style="text-align: left;"><span style="font-size: small;"> || वन्दे - मातरम || </span></div></div>dr.adityahttp://www.blogger.com/profile/14637784104071990226noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-4213354763267243546.post-15125881723231402512011-02-25T04:28:00.000-08:002011-02-25T04:28:12.210-08:00<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><div style="text-align: left;"><span style="font-size: x-large;">भरतीय राजनीती में भ्रष्टाचार :-</span></div><div style="text-align: left;"><span style="font-size: x-large;">------------------------------------</span></div><div style="text-align: left;"><span style="font-size: x-large;"><span style="font-size: small;">एस बैंड पर पी. एम.ने भजपा को लपेटा ,मौका मिलते ही उलझे माननीय ,कलमाड़ी ने दिखाई आँख ...., और भी एसे अन्य समाचारों को समाचार पत्र के मुख्य प्रष्ट पर देख कर एसा प्रतीत होता है कि राजनीति राजनीति न रहकर भरष्टाचार निति होगयी है | आज राजनीति का ढर्रा इतना बिगड़ गया है कि राजनीति के विकृत रूप के कारण यह पता लगाना कठिन हो रहा है कि भारत का राजमार्ग ही भ्रष्ट है या भ्रष्टाचार ही राजमार्ग मे घुस गया है | राजनीति रिवाज ,मर्यादा और सिद्धांत नाम की कोई चीज भारत में कही दिखाई नही देती |तत्कालीन नेता त्याग ,बलिदान ,देश -प्रेम और देश भक्ति जैसे गुणों से ओत -प्रोत होते थे |इन्हीं गुणों के कारण अंग्रेज सरकार को भारत छोड़ना पड़ा | उस समय नेता देश को समर्पित होते थे अब पेट के लिए समर्पित है | अब ऊँचे से ऊँचा पदासीन व्यक्ति भी कई करोड़ की सम्पत्ति का भंडार संचित कर रहा है |घोटालोंमें लिप्त होकर अपनी स्वयं की, अपनी पार्टी की ,तथा देश की छवि धूमिल कर रहें हैं |देश की गरीब जनता के लिए सुख सुविधा के प्रवचन तो अब केवल स्टेज और अख़बारों को ही सुशोभित करते हैं |</span></span></div><div style="text-align: left;"><span style="font-size: x-large;"><span style="font-size: small;"> किसी दल या पार्टी का गठन मोटे तौर पर किसी सिद्धांत के आधार पर ही होता है |उस सिद्धांत में आस्था और निष्ठा रखनेवाले लोग ही उस दल में सम्मिलित होते हैं |प्रत्येक दल का लक्ष्य सत्ता की प्राप्ति होता है ,आज तक यही होता आया है कि विपक्ष आपनी सारी शक्ति सत्ताधारी दल को गाली देने ,बदनाम करने और किसी न किसी तरह सत्ता हासि लकरने में लगा रहता है|आज लक्ष्य है सत्ता में जाना और सत्ता सुख ,सुविधा प्राप्त कर अपने कुल तथा रिश्तेदारों को लाभ पहुचानाही है |</span></span></div><div style="text-align: left;"><span style="font-size: x-large;"><span style="font-size: small;"> आज राजनैतिक दलों के परस्पर सम्बन्ध इतने कटु हो गये हैकि देश कि बड़ी से बड़ी समस्या पर भी आपस में विचार विमर्श करने के बजाये मिडिया के माध्यम से आरोप -प्रत्यारोप लगाते रहते हैं |उनके मन में यही धारणा घर किये रहती है कि विपक्ष कभी अच्छा कर ही नही सकता | जब विभन्न देश परस्पर मिल कर हित की बात कर सकते हैं तो विभिन्न दल परस्पर मिल कर राष्ट्र हित की बात क्यूँ नही कर सकते ? इस का कारण स्पष्ट है कि उन दलों और राजनेताओं में देश -भक्ति की भावना का आभाव है |राजनेताओं के लिए कोई सर्वमान्य आचार सहिंता नही है |जिसके आभाव में ही आज के नेता मनस्विता के अनुरूप आचरण करते दिखाई नही देते |</span></span></div><div style="text-align: left;"><span style="font-size: x-large;"><span style="font-size: small;"> देश में भ्रष्टाचार अब इतना सर्वव्यापी हो गया है ,कि किसी एक व्यक्ति ,व्यवसाय तथा संस्था कि ओर ऊँगली उठाने कि आवश्यकता नहीं |अब कोई भी स्तर ऐसा नही बचा जहाँ भ्रष्टाचार न हो | पहले केवल व्यापारी को चोर और भ्रष्ट माना जाता था ,बाद में सरकारी अधिकारी और कर्मचारी इस श्रेणी में गिने जाने लगे और अब तो आप देखते हैं कि इस व्यवसाय में प्रशासक और शासक भी शामिल हो गये है |अत: भ्रष्टाचार और अपराध अब अपराध नहीं रह गया है | हमारे जीवन का अंग बनगया है |अब आवश्यकता इस बात की है कि हम राजनैतिक संस्कार और आचार को बदलें |आपको अपनी सोच भी बदलनी हिगी |जैसे सेवा नि वृति का नियम होता है वही नियम राजनीति में भी लागू होना चाहिए | एक निश्चित आयु के बाद जैसे सभी सरकारी नौकर सेवा निवृत होतें हैं वैसे ही मंत्रियों और विधायको को भी सेवा निवृत किया जाये |</span></span></div><div style="text-align: left;"><span style="font-size: x-large;"><span style="font-size: small;"> यदि ऐसा नियम होता है तो बहुत कुछ भ्रष्टाचार राजनीति से कम होता नजर आएगा | भारत कि राजनीति में ऐसा नही होता |हर दल में एक विधायी पक्ष और दूसरा संगठन पक्ष होता है |जो नेता एक बार विधायी पक्ष मे चला जाता है वही सरकार कि कुर्सी से चिपका रहना चाहयता है ,फिर वह कुर्सी को नही छोड़ता| हमारी राजनैतिक व्यवस्था में एसे अनेक दोष है , जिनके कारण भ्रष्टाचार पनप रहा है |</span></span></div><div style="text-align: left;"><span style="font-size: x-large;"><span style="font-size: small;"> जब राजनीति में भ्रष्टाचार है तो जीवन के अन्य पक्ष भी अछूते नही रह सकते |भ्रष्टाचार महादैत्य होता है| हम नहीं कह सकते कि यह महादैत्य न जाने कब किस को निगल जाये |इसलिए सारे देश को उस संस्कार और तंत्र के विरुद्ध खड़े हो जाना चाहिए ,जिस के कारण भ्रष्टाचार पैदा होता है बढ़ता है |</span></span></div><div style="text-align: left;"><span style="font-size: x-large;"><span style="font-size: small;"> || वन्दे -मातरम् || </span></span></div><div style="text-align: left;"><span style="font-size: x-large;"><span style="font-size: small;"> </span></span></div></div>dr.adityahttp://www.blogger.com/profile/14637784104071990226noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4213354763267243546.post-65894027583897176622011-02-22T04:42:00.000-08:002011-02-22T04:42:34.879-08:00BHRSTACHAR OR BHARTVARSH<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><div style="text-align: left;"><span style="font-size: x-large;">भ्रष्टाचार एवं भारतवर्ष </span></div><div style="text-align: left;"><span style="font-size: small;">.......................................................................</span></div><div style="text-align: left;"><span style="font-size: small;"> आज भारत वर्ष अपने आर्थिक विकास के लिए संघर्षरत है |देश अपने सभी प्राक्रतिक संसाधनो के पूर्ण उपयोगो के लिए प्रयत्न शील है | परन्तु इसके लिए एक विपुल पूंजी की आवश्यकता है जो देश के पास नही है | यदि देश मैपूंजी निर्माण प्रयाप्त हो जाये तो देश अपने संसाधनो का विदोहन करने में सक्षम होगा और अपने उत्पादन और रोजगार दोनों में वृद्धी करसकेगा | </span></div><div style="text-align: left;"><span style="font-size: small;"> यूँ तो पूंजी के कमी के अनेक कारण है ,परन्तु आज देश में व्याप्त भ्रष्टाचार इस का एक प्रमुख कारण है |इस भ्रष्टाचार का आर्थिक प्रभाव स्पष्ट रूप से दिखाई देता है | आज हम देख रहे है कि ये चहुं ओर व्याप्त है | आज लगभग प्रत्येक नागरिक ,हवाला घोटाला ,यूरिया ,प्रतिभूति ,चीनी , चारा , वफोर्स, कांमनवेल्थ ,स्पेक्ट्रम ,आदर्श घोटालों से परचित है |लाखों करोड़ों के घोटाले उजागर हो चुके है | औरइतने ही जाँच कि परधि में आ चुके है | घोटालों के स्वामी है देश के राजनेता एवं नौकरशाह | जनता ने जिन लोगों को देश की बागड़ोर सोंपी है वही लोग इन हरकतों मै लिप्त पाए जा रहे है | ऐसी अवस्था में जनता का सरकार पर से भरोसा उठ जाना स्वभाविक है | </span></div><div style="text-align: left;"><span style="font-size: small;">भ्रष्टाचार के प्रभाव से देश में काले धन की अतिशय वृद्धी होरही है |यदि किसी देश में काले धन की मात्रा बड़ेगी तो देश में वस्तुओं एवं सेवाओं के मूल्य अवश्य बढ़ेंगे क्यूँ कि इस से चारो तरफ अनियमितता फलेगी |काले धन का एक पहलू और भी है कि इस धन को पकड़े जाने के भयसे भ्रष्ट लोग इसे देश के बाहर स्विस बैंक या अन्य बैंको में रखते है ,जिस का लाभ उन्ही देशों को मिलता है | इस प्रकार हमारे देश को नुकसान होता है | आज देश में सी .बी .आई .द्वारा मारे जा रहे छापों से स्पष्ट है कि नौकरशाहो एवं राजनेताओं के आवासों मै अकूत धन सम्पत्ति भरी पड़ी है|एसा अनुमान है कि देश के सम्पूर्ण काले धन को बरामद कर लिया जाये तो देश का विदेशी कर्ज उतारा जा सकता है और बचे धन को विनियोजित करके उत्पादन और रोजगार मै वृद्धी कर सकते है| </span></div><div style="text-align: left;"><span style="font-size: small;"> ऐसेवातावरण में लोगों को आधिक जानकारी प्राप्त करने कि भूख बढ़ रही है जो राष्ट्र के लिए एक शुभ संकेत है | एसा लगने लगा है कि न्यायालय ,देश के प्रति आपनी निष्ठा के कारण ही ,आज एक अभियान छेड़े हुए है ताकि इस भयानक रोग को समूल नष्ट किया जा सके |</span></div><div style="text-align: left;"><span style="font-size: small;"> मै ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि देश के इन कर्ण धारों को वो सदवुद्धि प्रदान करे ताकि ये भ्रष्टाचार को समाप्त करने में न्यायपालिका का साथ दें , तब ही बापू के रामराज्य के सपने को मूर्त रूप दिया जा सकेगा | </span></div><div style="text-align: left;"><span style="font-size: small;"> ||वन्दे -मातरम् || </span></div></div>dr.adityahttp://www.blogger.com/profile/14637784104071990226noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4213354763267243546.post-35000488485916504672011-02-16T03:02:00.000-08:002011-02-16T03:02:52.012-08:00......... PAR NETAON KI TO MOUJ !<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">आम बजट से पूर्ब एक बार फिर महगाई पर खूब माथा पच्ची हो रही है | एक तरफ जहाँ इस को लेकर सरकार की किरकिरी हो रही है वही भ्रस्टाचार के मसले पर भी जनमानस में विद्रोह होता जा रहा है | ये नेता लोग महगाई , भ्रस्टाचार , काले -धन जैसी समस्याओं पर सदन मै हो -हल्ला तो बहुत करते है पर कभी अपने खुद के गिरेवां में भी झाक करदेखते है कि हम भी कितने दूध के धुले है | सियासी नफा नुकसान तो देखते है पर क्या कभी गरीब कीरोजी -रोटी के नफा -नुकसान का अंदाजा लगाते है| अभी से कुछ एसा सुनाई दे रहा है कि सब्सिडी पर कुछ ध्यान दिया जाये | हाँ ........ ठीक| कहाँ ध्यान दोगे पता है गरीब कि भोजन कि थाली पर से सब्सिडी हटाओगे और कर क्या सकते हो ? मै पूझता हु क्या इन नेताओ कि थाली से सब्सिडी कोई सरकार हटा सकती है ?<br />
महगाई के इस ज़माने मै क्या आप १२.५० रु. मै शाकाहारी थाली ,१.५० रु.एक कटोरी दाल औरएक रु. में एक रोटी मिलने कि कल्पना कर सकते है | नही न ... ........ ....पर संसद भवन कि कैंटीन में यह संभव है | यहाँ दसको से कीमत ऐसी ही है |ये सब एक गरीबी की रेखा से नीचे रहने बाले गरीब को ,(जो इन का वोट बैंक है)पता चल जाये तो वो वेचारा सुनते ही इस लोक को छोड़ देगा | <br />
ये जो नेता लोग इन सब मुद्दों पर धरना -प्रदर्शन करते है ,जल्लुस,बंद का आवाहन करते है |बाजार ,याता -यात बंद करते है | अपनी -अपनी रोटियां सेकते है ,मारा जाता है तो बिचारा आम इन्सान ,भूखे सोते है एक गरीब के बच्चे , न जाने कितने दिन मरी जाती है एक गरीब मजदूर की मजदूरी ? पर ये नेता लोग तो मौज की खाते है इनको किसीकी कोई परवाह नही | ये ही नही इनके चाटुकार पत्रकार मित्र (जो इनको मुख्य पेज पर , ब्रेकिंग खबर पर रखते है ) भी इस सुभिधा का जमकर लाभ उठाते है | याद रखिये इन सब सस्ती चीजो के पीछे भारी सब्सिडी है |<br />
इन की थाली का ब्यौरा :- दही-चावल - ११रु. ,वेज पुलाव -८रु. ,चिकिन बिरयानी -३४रु. ,फिश करी चावल -१३रु. ,राजमा चावल -७रु., चिकन करी -२०रु. ,चिकन मसाला -२४.५०रु. ,बटर चिकन - २७रु. ,खीर (एक कटोरी )-५.५०रु. ,छोटा फ्रूट केक -९.५०रु. ,फ्रूट सलाद -७रु. |शाकाहारी थाली -१२.५०रु. ,मांसाहारी थाली -२२रु. |इन कीमतों की समीक्षा वर्ष २००५ मे तेलगू देशम पार्टी के सांसद के. येरन नायडू की अध्यक्षता मे की गई |<br />
||वन्दे -मातरम || </div>dr.adityahttp://www.blogger.com/profile/14637784104071990226noreply@blogger.com0