Monday, November 29, 2010

sabarmati ka sant-3

भारत, पाकिस्तान और कश्मीर
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इस विषय पर आज भी बहूत से सबाल खड़े हुए है.आजादी के तुरंत बाद ही ये सबाल खड़े हो गए थे| बापू के सामने भी ये सबाल आये थे ,उन्हे भी ये सबाल विचलित करते थे |देखते है उन्होंने इस विषय पर अपने क्या विचार दिए :
           हमारे देश कि बद्किश्मती से हिदुंस्तान और पाकिस्तान नाम से जो दो टुकड़े हुए , उसमे धर्म को ही कारण बनाया गया है | उस के पीछे आर्थिक और दूसरे कारणभले रहे हो , मगर उनकी वजह से यह बटवारा नही हुआ होता| आज हवा मै जो जहर फैला हुआ है , वह भी उन्ही साम्प्रदायिक कारणों से पैदा हुआ है |धर्म के नाम पैर लूट मार होती है , अधर्म होता है |एसा न हुआ होता तो अच्झा होता , एसा कहना अच्छा तो लगता है मगर इससे हकीकत को बदला नही जा सकता |
यह सबाल कई बार पूछा गया है कि दोनों के बीचलड़ाई होने पर क्या पाकिस्तान के हिन्दू हिंदुस्तान के हिन्दुओ के साथ और पकिस्तान के मुस्लमान पाकिस्तान के मुसलमानों के साथ लड़ेंगे ? मै मानता हूँ कि ऊपर बतलाई  हुई हालत मै वे जरुर लड़ेंगे | मुसलमानों कि वफादारी के वचनों पर भरोसा न करने मै जितना  खतरा है, उस के बजाए भरोसा न करने मै ज्यादा खतरा है| भरोसा करने मै भूल हो और खतरे का सामना करना पड़े ,तो बहादुरों के लिये यह एक मामूली बात होगी |
मोंजू ढंग पर इस सवाल को दूसरी तरहा से यों रखा जा सकता है कि क्या सत्य और न्याय कि खातिर हिन्दू हिन्दू के खिलाफ और मुसलमान मुसलमान के खिलाफ लड़ेगा ? इसका जबाव एक उल्ट सवाल पूछकर दिया जा सकता है कि क्या इतिहास मैएसे उदाहरण नही मिलते ?
इस सवाल को हल करने मै सबसे बड़ी उलझन यह है कि सत्य कि दोनों ही देशो मै उपेक्छा कि गई है , मनो सत्य कि कीमत ही न हो | एसी विषम स्तिथि  मै भी हम उम्मीद करे कि सत्य पर अटल श्रद्धा रखने वाले कुछ लोग हमारे देश मै जरुर है |              
                                "हरिजनसेवक ,पत्रिका " २६-१०-१९४७ से साभार संकलित |
      दोस्तों इसी विषय मै कल और भी संकलन  आप के सामने रखूंगा , नमस्कार चलता हू.|

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