Tuesday, January 25, 2011

make-up ke saukin

दोस्तों  आज कल शादियो का मौसम  चल रहा है| महिलाए हो या पुरुष सबको सुन्दर और स्मार्ट दिखने की चाहत होती है |यह तमन्ना आज के मनुष्यों की ही नहीं आदिमानवो के दिलो में भी थी,बदसूरत होने के बाबजूद आदिमानव भी सजने सवरने में यकीन रखते थे|
 आज के इस कॉस्मेटिक युग में भी जहाँ हजारो तरह के सोंदर्य प्रसाधन  सामिग्रिया बाजारों में मोजूद है  जो आपको सुन्दर और जवान दिखने का दावा करती है |इस आधुनिक  दौर  मे जब कॉस्मेटिक इंडस्ट्री  का कारोबार कई अरबो   का है और सारा जोर दिखने -बिकने पर है तो ऐसे  मे हजारो साल पहले के आदिमानवो मे इस हुनर का होना चौकाता hai |लकिन पुरातत्वविदों को  इस बात के पुख्ता सबूत मिले है| 
               ब्रिटेन के शोध कर्ताओ ने अपने अध्ययन  मे पाया  कि लगभग पचास हजार वर्ष पूर्व आदिमानव भी कॉस्मेटिक्स का उपयोग करते थे | ब्रिस्टल  यूनिवर्सिटी  के प्रोफेसर जोआओ जिल्हाओ के अनुसार ,यह पहला सबूत है पुरातत्वविदों का यह शोध  ऐसे समुंदरी शैलो के विश्लेषण पर आधारित  है जिनमे शोध कर्ताओ  को रंग मिले है | माना जा रहा  है कि इनका उपयोग आदिमानव मेक -अप बॉक्स के रूप मे करते थे | ऐसे बॉक्स विशेषज्ञों को दो ऐसे स्थानो से मिले है जहाँ पर आदिमानवो से जुड़े है | यह शोध "प्रोसीडिंग्स ऑफ़ द नेशनल अकेडमी ऑफ़ साइंसेज" मे प्रकाशित हुए है |
                                  "वन्दे मातरम "
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Saturday, January 8, 2011

BHUKH HADTAL.... ........

भूख हड़ताल के दो सौ बरस .....
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दोस्तों ये शब्द तो आपने न जाने कितनी बार सुना होगा पर आप को इस के इतिहास के बारे में कुछ पता है नही न मैंआप को बताता हूँ ये कब शुरु हुई? 
   दोस्तों इस की शुरुआत दो सौ एक साल पहले २६ दिसंबर १८०९ को बनारस में भूमि एवं भवन कर के मुद्दे पर हुई थी |
  प्रख्यात विद्वान डॉ.भानुशंकर मेहता की पुस्तक "निराले बनारस "के मुताबिक  १८०९ में बनारस के तत्कालीन कलेक्टर मि. बर्ड ने शहर वासियों  पर भूमि एवं  भवन कर थोप दिया था | गौरीकेदारेश्वर मंदिर (स्वयं भू  शिवलिंग ) के तत्कालीन  महंत परिवार से जुड़े पाँच सदस्यों ने अंग्रेजी हुकूमत के इस फरमान की मुखालफत करते हुए भूख हड़ताल की | हजारो लोगो ने अपने घर में ताला जड़ दिया और गंगा पार चल दिए | प्रदर्शनकारियोंने गंगाजल, फल और किसानो द्वारा  उपलब्ध कराये गए अन्न के बूते तीन सप्ताह से अधिक का समय खुले आकाश के निचे गुज़ार दिया| लगभग एक महीने तक चले इस जनविरोध के चलते बर्ड को कर वापस लेना पड़ा था |
                   बनारस  के लोग हर साल इस घटना कि याद में घर छड़ी  पर्व  मानते  हैं |
                                       "वन्दे मातरम " 

Sunday, January 2, 2011

JAI JAGDISH HARE..... ....... ....

दोस्तों नमस्कार , पिछले सन्देश मै मैंने इस नव-वर्ष का अभिनन्दन करने के साथ-साथ प्रभु कि वंदना के लिये भी लिखा था |अक्सर हम हिन्दू लोग प्रभु-वंदना मै सबसे पहली आरती ॐ जय जगदीश ....... ही गाते है ,लेकिन इसके  रचयिता के बारे मै बहुत कम लोगो को पता होगा |
          इन का जन्म  पंजाब मै लुधियान के पास फुल्लोर मै सं १८३७ मै हुआ | इनके पिता का नाम पं जयदयालू था | १८७० मै रची इस रचना के रचनाकार का नाम  पं श्रदारामथा |इन के जीवन कल मै लोगो ने इनको जब पहचाना जब इनकी कि ये आरती अपने भावो और स्वरों के कारण धीरे-धीरे लोकप्रिय होने लगी |
         पंडित जी ने पंजाबी मै भी कई पुस्तकें भी लिखी | पंडित जी कि इस  आरती ने मानो लोगों को इश्वर से संवाद का एक सहज मार्ग दे दिया हो |  तभी से यह आरती घर-घर मे गाई जाने लगी और पूजा अर्चना में इसका अपना महत्व हो गया | इस आरती के बोल लोगो की जुबान पर ऐसे चड़े कि आज पीड़ियाँ गुजर जाने के बाद भी उनके शब्दों का जादू कायम है |
                                   ||वन्दे - मातरम ||