भारत पाकिस्तान और कश्मीर -२
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दोस्तों आप सोच रहे होगे कि मै यह सब किसी महान लेखक कि पत्रिका से या बापू कि आत्मकथा से संकलित कर लिख रहा हूँ ,नहीं एसा नही है ,ये संकलन मेरे स्वर्गीय पूज्य दादा जी का है | जो खुद भी एक स्वतंत्रतासेनानी थे उन्होंने बापू कि लेखनी से निकले लेख जो अलग - अलग पत्रिकाओ मै झपे ,उनकी कटिंग अपनी एक सादा सी कापी मै चुपका लिये थे जो मेरे पास आज भी सुरखछित है | यहाँ पर लिख ने के दो कारण है एक तो सब के साथ इनको साझा करना और एक समयतक इनको सुरखछित रखना |
आज कल विकिलीक्स ने काफी हंगामा फैला रखका है , इस के एक सन्देश मै जिक्र था कि भारत और पकिस्तान मै जंग होसकती थी | ये बात कोई नयी बात नही थी पहले भी ऐसे हालात कई बार बनचुके है| पर सोचने कि बात ये है कि इससे हासिल क्या होगा ? सिर्फ बर्वादी ,जान कि माल कि अपनी -अपनी सभ्यताओ कि धर्मो कि और मिलेगा क्या ? जग हसाई,मेरे दोस्तों चेतो जागो समझो इन गोरो कि चालों को पहेले भी हमें ये वांट चुके है और अब बरवाद कर ना चाहयते है |इनकी अब एक चाल है कि हिन्दुओ से कहदो कि मुसलमान तुम्हे बरवाद करदेंगे और मुसलमानों से कि हिन्दू तुम्हे | ये चाल इन्हे सूझी कंहासे .....इस के जवाबदार भी हम ही है , सुना है कि पाक के कुछ मुसलमान और भारत के कुछ हिन्दुओ कि हटधर्मिता से, जो अनर्गल प्रलाप करते रहते है |बापू ने इस विषय मै भी कुछ लिखा था :-
"हिंदुस्तान से हरेक मुसलमान को भगाने और पाकिस्तान से हरेक हिन्दू और सिख को भगाने का नतीजा यह होगा कि दोनों उपनिवेशों मै लड़ाई होगी और देश हमेशा के लिए बरवाद हो जाएगा | अगर दोनों उपनिवेशों में यह आत्मघाती नीती बरती गई , तो उससे पाकिस्तान और हिंदुस्तान दोनों में इस्लाम और हिन्दू धर्म का नाश हो जायेगा | भलाई सिर्फ भलाई से ही पैदा होती है प्यार से प्यार पैदा होता है | जहाँ तक बदला लेने कि बात है , इन्सान को यही शोभा देता है कि वह बुराई करनेवाले को भगवान के हाथ में छोड़ दे |"
"दिल्ली - डायरी ,प्रष्ट :-सं:-२८ से संकलित "
.................................................................... वन्देमातरम |
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