दिल की किताब :-
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" आप भी क्या सोच रहे होंगे कि मैंने कैसा शीर्षक लिया हैं ।जी हाँ एक ही शब्द के कई अर्थ हो सकते हैं, और समझ ने वाले अपने हिसाब से समझते है । यहाँ मैं एक ऐसी किताब के बारे में बता रहा हूँ , जिसको इस भूलोक के किसी लेखक ने नहीं लिखा है । इसे पड़ने के लिए किसी भाषा ज्ञान की जरूरत नहीं । एक अनपढ़ भी इसे पड़ सकता है । बिना आखों बाला भी पढ़ सकता है । इसका लेखक संसार का पालन हार , सृष्टि का रचियता है ।
इसे अगर युवा पढ़ेगा तो उसे भी आनंद की अनुभूति होगी , अगर मध्य वय पढ़ेंगे तो असीम संतोष की प्राप्ति होगी , और वृद्ध पढ़ेंगे तो असीम आनंद, संतोष ,और सुख की प्राप्ति होगी । हरेक के अपने- अपने अर्थ होंगे , अलग -अलग अनु -भूतियां होंगी । इसे "हृदय की किताब " भी कह सकते हैं ।
इसमें लिखा है - सबसे पहले अपनी आँखे बंद कर पहचानो तुम कौन हो ।
- अपने अंदर के जीवन को महसूस करो ।
- अपने अंदर के आनन्द को खोजो , सच्चा आनन्द , शारीरिक आनन्द से इतर ।
- अपने अंन्दर के करिश्माई शक्तियो को खोज निकालने का मार्ग ।
- एक शब्द "प्रेम " कितने अर्थ है इसके ,समझो ,पहचानो , करो ,बांटो ।
- तुम्हरे अंदर ही तुम्हरी दिव्यता है।
- तुम्हारा गुरु तुम्हारा हृदय ही है इसकी आवाज को कभी अनसुना न करो , फिर
देखो जीवन के हर क्षेत्र में सफलता तुम्हरे साथ होगी ।
किसी पुस्तक के पन्ने पलटते रहो तो एक -एक करके सारे पन्ने पलट जायेंगे , इन्हें फिर बापस पलट सकते है । परन्तु हृदय की किताब के पन्ने बापस नहीं पलटे जासकते । इसे पढ़ना है तो दिल की भाषा सीखो । जिस दिन हृदय की भाषा समझ आने लगेगी , उस दिन ये भी समझ में आने लगेगा कि जीवन कितना अनमोल है । सौभाग्य है कि हमें ये जीवन मिला । इस दिल ,हृदय की किताब को अपना गुरु बनाओ ,मार्गदर्शक बनाओ । हृदय से निकला हर भाव सत्य है , परमात्मा के प्रेम की भाषा है , उसका आदेश है , उसे बस समझना है । ये तभी संभव होगा जब हम इस किताब को पढ़ना सीख जाएगें ।
to duniya mein apni marzi se jeena seekh jaynge.....
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