Thursday, September 4, 2014

कर्म करो..… पर विचार कर :-

कर्म करो..… पर विचार कर :-

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मनुष्य कर्मशील प्राणी है । वह जैसा कर्म करता है , उसे वैसा ही फल मिलता है । जब हम गलत काम करते है तो उसका गलत नतीजा भी हमें अवश्य भुगतना पड़ता है । इस लिए कहा गया है कि अच्छे काम करो । उनका परिणाम भी सुखद होता है । 
भगवान  बुद्ध ने कर्म के आधार पर मनुष्य के चार प्रकार बताये है । कथा आपके सामने प्रस्तुत करता हूँ , 
एक वार प्रवचन के उपरांत एक जिज्ञासु ने भगवान  बुद्ध से पूंछा " आप ने कहा कि  मनुष्य चार प्रकार के होते है , कृपा समझाएं ?"
    बुद्ध ने उत्तर दिया , " मनुष्य कर्म से चार प्रकार के होते है - एक , तिमिर से तिमिर में  जानेवाला ;दूसरा , तिमिर से ज्योति की ओर  जाने वाला ; तीसरा , ज्योति से तिमिर की ओर  वाला ; और चौथा , ज्योति से ज्योति में  जाने वाला । 
    यदि कोई मनुष्य चाण्डाल , निषाद आदि  हीन कुल में जन्म ले और जन्म भर दुष्कर्म करने में बिताये , तो उसे मैं "तिमिर से तिमिर  में जाने वाला "कहता हूँ । 
   
   यदि कोई मनुष्य हीन कुल में जन्म ले तथा खाने - पीने की तकलीफ होने पर भी मन - वचन - कर्म से सत्कर्म का आचरण करे , तो मैं ऐसे मनुष्य को "तिमिर से ज्योति में  जाने वाला " कहता हूँ । 
   
   यदि कोई मनुष्य महा कुल में  जन्म ले , खाने -पीने की कमी न हो , शरीर भी सुन्दर ,रूपवान ,बलवान हो , किन्तु मन , वचन , कर्म से दुष कर्मी हो ,दुराचारी हो , तो मैं उसे  "ज्योति से तिमिर में जाने वाला " कहता हूँ । 
    किन्तु जो मनुष्य अच्छे कुल में जन्म लेकर सदैव सदाचरण ,सत  कर्म की साधना करता हो , तो मैं उसे "ज्योति से ज्योति में  जाने वाला " मनुष्य मानता हूँ । 

इस लिए मित्तरों मेरा तो यही निवेदन है कि  कर्म तो हमें करना है पर करते समय सोचना भी है , विशेष ध्यान भी रखना हो किस कर्म से हम किस श्रेणी के मनुष्य बन जायेंगे । इस भू  लोक पर ,हमारे जाने के बाद , क्या रह जायेगा ? रह जायेगा तो हमारी मनुष्यता की श्रेणी , हमारे दुवारा किये कर्मो की विवेचना । 
      एक बात और जब हम एक सामाज का हिस्सा हैं तो इसको भी हमें अपने कर्मो से साधना होगा , न तो गलत करेंगे  और न ही होने देंगें । हम गलत कर्म नहीं करते ,लेकिन गलत लोगों का विरोध नहीं करते तो ये भी गलत होगा । इसका फल  कईबार बहुत घातक  होता है । समाज को बुरे लोग इतना नुकसान नहीं पहुचाते जितना तटस्थ या निष्क्रिय लोग पहुंचाते है । 
       इस लिए उट्ठो  जागो सोचो समझो और कर्म किये जाओ। … 
       अपनी मनुष्यता की श्रेणी का हमेशा ध्यान रहे । 
      जड़ता को छोडो। … विनाशी नहीं रचनाकार बनो। … 
      हमें आज सवार कर आने वाली संतति को नया कल देना है । 
                                            । । इति  । ।    

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