Sunday, January 8, 2012

सा...... करेक्टर ढीला हैं ....
=====================  ============       नमस्कार मित्रो ,हमारी राजनीती और राजनेताओं का चरित्र दिनों -दिन कितना अधोगामी होता जा रहा हैं
यह एक सोचनीय बिषय बनता जा रहा हैं | ये सब कुछ आज से नही वर्षों पहले से होता आया हैं|पहले इक्का
दुक्का पर अब तो कुछ वर्षों से लगातार इनके चरित्र चित्रण हर अख़बार के मुख्य पृष्ट की शोभा बड़ा रहे हैं |
                  आंध्र प्रदेश के महान राजनीतिज्ञ पुरोधा एन. टी. रामा राव और शिक्षिका लक्ष्मी पार्वतीके किस्से
पूर्व राज्य मंत्री चिन्मयानंद और चिदर्पिता के किस्से ,ये उस समय केहैं जब मिडिया इतना मुखर नहीं था |
और राजनीती भी मिडिया पर हाबी थी ,पाबंदी थी| अगर किसी अख़बार में छपी तो एक छोटे से कालम में
|आम जनता को पता ही नहीं चलता था और उस समय अख़बार भी हर जगह नही पहुच पते थे | जब से
मिडिया बलवती हुआ है इन के चरित्र की पोल खुल कर जनता के सामने आने लगी हैं |
      पूर्व राज्य पाल एन. डी. तिवारी कांड ,मधुमती कांड, ये भी नेताओं से जुढ़े हैं |और हल ही मैं उभर के आया
भवरी देवी कांड जिस मैं भी एक नेताजी का चरित्र उभर कर आया हैं |ये सभी हम लोगों के दुवारा ही चुन
कर ही भेजे गये है |
                                        क्याइन केसों की निष्पक्ष जाँच हो पायेगी ?क्या इनको भी आम जनकी तरह सजा
मिलपाएगी  |या सजा के नाम पर इनको मिलेगी पञ्च सितारा जेल जहाँ इन के एशों आराम की
सभी सुबिधायें उपलब्ध करा दी जाती हैं | इन्होने तो आपनी उम्र का भी लिहाज नहीं किया |
                 दोस्तों ये काम अगर आम युवा करता तो लोग शायद यही कहते ... सा ... करेक्टर ढीला
हैं | 

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