दोस्तों नमस्कार , पिछले सन्देश मै मैंने इस नव-वर्ष का अभिनन्दन करने के साथ-साथ प्रभु कि वंदना के लिये भी लिखा था |अक्सर हम हिन्दू लोग प्रभु-वंदना मै सबसे पहली आरती ॐ जय जगदीश ....... ही गाते है ,लेकिन इसके रचयिता के बारे मै बहुत कम लोगो को पता होगा |
इन का जन्म पंजाब मै लुधियान के पास फुल्लोर मै सं १८३७ मै हुआ | इनके पिता का नाम पं जयदयालू था | १८७० मै रची इस रचना के रचनाकार का नाम पं श्रदारामथा |इन के जीवन कल मै लोगो ने इनको जब पहचाना जब इनकी कि ये आरती अपने भावो और स्वरों के कारण धीरे-धीरे लोकप्रिय होने लगी |
पंडित जी ने पंजाबी मै भी कई पुस्तकें भी लिखी | पंडित जी कि इस आरती ने मानो लोगों को इश्वर से संवाद का एक सहज मार्ग दे दिया हो | तभी से यह आरती घर-घर मे गाई जाने लगी और पूजा अर्चना में इसका अपना महत्व हो गया | इस आरती के बोल लोगो की जुबान पर ऐसे चड़े कि आज पीड़ियाँ गुजर जाने के बाद भी उनके शब्दों का जादू कायम है |
||वन्दे - मातरम ||
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