भूख हड़ताल के दो सौ बरस .....
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दोस्तों ये शब्द तो आपने न जाने कितनी बार सुना होगा पर आप को इस के इतिहास के बारे में कुछ पता है नही न मैंआप को बताता हूँ ये कब शुरु हुई?
दोस्तों इस की शुरुआत दो सौ एक साल पहले २६ दिसंबर १८०९ को बनारस में भूमि एवं भवन कर के मुद्दे पर हुई थी |
प्रख्यात विद्वान डॉ.भानुशंकर मेहता की पुस्तक "निराले बनारस "के मुताबिक १८०९ में बनारस के तत्कालीन कलेक्टर मि. बर्ड ने शहर वासियों पर भूमि एवं भवन कर थोप दिया था | गौरीकेदारेश्वर मंदिर (स्वयं भू शिवलिंग ) के तत्कालीन महंत परिवार से जुड़े पाँच सदस्यों ने अंग्रेजी हुकूमत के इस फरमान की मुखालफत करते हुए भूख हड़ताल की | हजारो लोगो ने अपने घर में ताला जड़ दिया और गंगा पार चल दिए | प्रदर्शनकारियोंने गंगाजल, फल और किसानो द्वारा उपलब्ध कराये गए अन्न के बूते तीन सप्ताह से अधिक का समय खुले आकाश के निचे गुज़ार दिया| लगभग एक महीने तक चले इस जनविरोध के चलते बर्ड को कर वापस लेना पड़ा था |
बनारस के लोग हर साल इस घटना कि याद में घर छड़ी पर्व मानते हैं |
"वन्दे मातरम "
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