Wednesday, April 27, 2011

ALIENS

कहीं जमीं पर न आ जाये ........
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दो तीन दिन पहले एक क्लिप एक न्यूज़ चेनल पर बहुत दिखाई जा रही थी |यू ट्यूब पर भी कितने लोगो  द्वारा देखी गयी |यह थी.. साईबेरिया की वर्फ में दबे हुए एलियंस  के मृत शरीर की |
एलियंस कैसे होते है ,कहां रहते  हैं और उनकी भाषा क्या है ?यह सवाल हम सबके लिए फ़िलहाल पहेली  बने हुए हैं |जादू जैसे एलियंस महज किस्से कहानियों का हिस्सा नहीं है हकीकत में भी पृथ्वी से कोसों दूर उन  जैसे कुछ जीवों ने अपनी दुनिया बसा रखी  हैं विश्व के शीर्ष भौतिक वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग खुद इन जीवों के अस्तित्व की तस्दीक करते हैं |डिस्कवरी चेनल पर उन्होंने कहा कि वेशक एलियंस दुसरे ग्रहों पर  साँस ले रहे है लेकिन इन्सान को उनसे दूरी बनाये रखने की कोशिश करनी चाहिए क्योंकि  दोनों के बीच  तकरार का नतीजा खतरनाक हो सकता है | उन्होंने चेताया कि एलियंस संसाधनों की   तलाश में  कभी भी पृथ्वी पर धावा बोल सकते है |लिहाजा वैज्ञानिक  ऐसे कोई   भी सुराग न छोड़े , जिसके निशान खगालते हुए वे हम तक पहुंच  जाये स्टीफन की माने तो हमे एलियंस से सम्पर्क साधने की वजाय उन्हें नजरंदाज करना चाहिए |
सर्च फॉर एक्स्ट्रा तेरेस्तियल इंटेलिजेंस के संस्थापक वैज्ञानिक फ्रेंक ड्रेक ने एलियंस की जासूसी करने का सुझाव पेश किया |उन्होंने कहा  इस काम के लिए सुदूर ग्रहों पर अन्तरिक्ष यान भेजे जाये| इस यान की मदद  से इन ग्रहों पर रहने वाले एलियंस के वार्तालाप या संदेश सुने जाये | फ्रेंक  की यह प्रस्ताव रिपोर्ट न्यू  साइंटिस्ट मैग्जीन में छपी है |
     परन्तु हॉकिंग ने धरती से अन्तरिक्ष में रेडिओ सिग्नल छोड़ने के प्रति आगाह किया है इसके अलावा दुसरे ग्रहों पर यान भेजने से मना किया है जिनपर पृथ्वी का रास्ता सुझाने वाले  नक्शे मौजूद हों | हॉकिंग  ने कहा मेरी गणित  की समझ मुझे एलियंस की मौजूदगी को सिरे से ख़ारिज करने से रोकती है |इन्सान की भलाई इसी मे है की वे उनसे दूर रहें |

Wednesday, April 20, 2011

ABHI TO MAIN JAWAN HOON........

अभी तो मैं जवान हूँ :-
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वह दिन दूर नही जब यह गाना आपके लिए हकीकत बन जायेगा किअभी तो मैं जवान हूँ ........| वैज्ञानिकों ने अमृत का एक फॉर्मूला तैयार किया है |इसे ग्रहण करने के बाद इंसान न केवल शारीरिक रूप से वृद्ध होगा न मानसिक रूप से |उसकी सभी इन्द्रियां युवा कि तरह काम करती रहेंगी
इस पर जापान के साथ भारत में काम चल रहा है |वैज्ञानिकों ने इस फॉर्मूले पर काफी हद तक सफलता हासिल कर ली है |
काशी हिन्दू विश्व विद्यालय के अमीरिट्स चिकित्सा विज्ञानी प्रो. रामहर्ष सिंह ने अश्वगंधा के सटीक मात्र में प्रयोग से रसायन  तंत्र के तहत औषधि का फॉर्मूला तैयार किया है |ब्रिटन के चिकित्सकीय  जनरल " BIOJERONOTOLOJI  " में उनका शोध प्रबंध प्रकाशित हो चुका है | उनकी सोच है कि दुनिया में बुजुर्गों की आबादी बढ रही है ऐसे मे जरुरी हो गया है की उनकी मेधा और कार्यशक्ति को लम्बी  अवधि तक जवान रखा जाये |प्रो. सिंह ने बुढ़ापा के १४  प्रमुख लक्षणों स्मृति का कम होना , नींद की कमी ,त्वचा मे झुर्रियां ,आंख की रौशनी क्षीण होना   ,बालों की सफेदी ,श्रवन शक्ति में कमी ,अवसाद  या डिप्रेशन ,चित्तोद्वेग या एनजायती, मूत्र सम्बन्धी विकार ,हड्डियों में दर्द , संज्ञान क्षमता का कम होना  तथा इन्द्रिय सम्बन्धी विकार को ज्यादा समय तक टालने पर काम किया है |उन्होंने अश्वगंधा के प्रयोग के उचित मात्रा में प्रयोग द्वारा मानव शरीर के आणविक पोषण की प्रक्रिया को सही करने पर काम के तहत वाराणसी के ३५ से ४०  वर्ष उम्र के सौं  लोगों पर परिक्षण किया | हर छह माह पर दो बार दवा के प्रयोग का निष्कर्ष जांचा गया तो पता चला की दवा के प्रयोग से जहाँ याददास्त  बड़ी, वहीँ बुढ़ापे में होने वाले बायोलोजिकल  क्षरण और मानसिक सेहत का क्षरण भी कम हुआ यानि  बुढ़ापे  के लक्षणों  के पनपने की गति मंद पाई गयी |
अमेरिका में जीन के आधार  पर   म्रत्यु टालने पर कुछ वैज्ञानिक काम कर रहे है |ब्रिटिश जनरल ऑफ़ फर्मोकोलोजी मे प्रकाशित डॉ. क्बोयामा  के नेतृत्व वाले जापानी वैज्ञानिकों के शोध प्रबंध में दिमागी कोशिकाओं को अश्वगंधा के प्रभाव से पुनर्जीवित करने पर फ़ोकस है |लेकिन अश्वगंधा के प्रयोग से बुढ़ापा टालने का प्रो. सिंह का शोध ज्यादा सटीक है |